हिमालयन आर्ट
Author: फ़्रेंच, जे.सी.
Keywords: हिमालयी कला, कांगड़ा घाटी, कांगड़ा की कला, कांगड़ा की चित्रकालाएँ, पहाड़ियाँ, 1931
Publisher: ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, लंदन
Description: जे सी फ़्रेंच द्वारा लिखित ‘हिमालयन आर्ट’ को 1931 में प्रकाशित किया गया था। लेखक पहाड़ियों से भली भाँति परिचित प्रतीत होते हैं और इसीलिए कांगड़ा घाटी की चित्रकलाओं से पहली बार परिचित होने का उल्लेख करते हैं। फ़्रेंच ने कांगड़ा की कला के बारे में स्पष्टवादिता, स्वच्छंदता और सहज प्रत्यक्षता से चर्चा की है, जिसका पाठकों पर हमारे स्वयं के कुछ गाथागीतों जैसा ही प्रभाव पड़ता है, जो अपनी सामान्य अभिव्यक्तियों और पारंपरिक शब्दों से दिल को भेदने वाली त्वरित मिठास पैदा करते हैं। लेखक ने अंततः इसे कला की दुनिया में कुछ अद्वितीय कहा है। फ़्रेंच हमें पुस्तक के माध्यम से वास्तविक पहाड़ियों की ओर ले जाते हैं और पाठक को यह महसूस कराते हैं कि उच्च घाटियों में यात्रा करना कैसा होता है, जहाँ यात्रा का गतिशील साधन अभी भी वैसा ही है जैसा कि कुछ हजार वर्षों से है और इसलिए कोई भी अपने दिमाग में उस देश की तस्वीर की कल्पना कर सकता है जहाँ इस कला को उत्पन्न किया गया था।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | फ़्रेंच, जे.सी. |
| dc.date.accessioned | 2019-03-01T11:56:32Z |
| dc.date.available | 2019-03-01T11:56:32Z |
| dc.description | जे सी फ़्रेंच द्वारा लिखित ‘हिमालयन आर्ट’ को 1931 में प्रकाशित किया गया था। लेखक पहाड़ियों से भली भाँति परिचित प्रतीत होते हैं और इसीलिए कांगड़ा घाटी की चित्रकलाओं से पहली बार परिचित होने का उल्लेख करते हैं। फ़्रेंच ने कांगड़ा की कला के बारे में स्पष्टवादिता, स्वच्छंदता और सहज प्रत्यक्षता से चर्चा की है, जिसका पाठकों पर हमारे स्वयं के कुछ गाथागीतों जैसा ही प्रभाव पड़ता है, जो अपनी सामान्य अभिव्यक्तियों और पारंपरिक शब्दों से दिल को भेदने वाली त्वरित मिठास पैदा करते हैं। लेखक ने अंततः इसे कला की दुनिया में कुछ अद्वितीय कहा है। फ़्रेंच हमें पुस्तक के माध्यम से वास्तविक पहाड़ियों की ओर ले जाते हैं और पाठक को यह महसूस कराते हैं कि उच्च घाटियों में यात्रा करना कैसा होता है, जहाँ यात्रा का गतिशील साधन अभी भी वैसा ही है जैसा कि कुछ हजार वर्षों से है और इसलिए कोई भी अपने दिमाग में उस देश की तस्वीर की कल्पना कर सकता है जहाँ इस कला को उत्पन्न किया गया था। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | xiv, 116 p. : Plates; Map |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, लंदन |
| dc.subject | हिमालयी कला, कांगड़ा घाटी, कांगड़ा की कला, कांगड़ा की चित्रकालाएँ, पहाड़ियाँ, 1931 |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1931 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-014215 |
| dc.format.medium | text |
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | फ़्रेंच, जे.सी. |
| dc.date.accessioned | 2019-03-01T11:56:32Z |
| dc.date.available | 2019-03-01T11:56:32Z |
| dc.description | जे सी फ़्रेंच द्वारा लिखित ‘हिमालयन आर्ट’ को 1931 में प्रकाशित किया गया था। लेखक पहाड़ियों से भली भाँति परिचित प्रतीत होते हैं और इसीलिए कांगड़ा घाटी की चित्रकलाओं से पहली बार परिचित होने का उल्लेख करते हैं। फ़्रेंच ने कांगड़ा की कला के बारे में स्पष्टवादिता, स्वच्छंदता और सहज प्रत्यक्षता से चर्चा की है, जिसका पाठकों पर हमारे स्वयं के कुछ गाथागीतों जैसा ही प्रभाव पड़ता है, जो अपनी सामान्य अभिव्यक्तियों और पारंपरिक शब्दों से दिल को भेदने वाली त्वरित मिठास पैदा करते हैं। लेखक ने अंततः इसे कला की दुनिया में कुछ अद्वितीय कहा है। फ़्रेंच हमें पुस्तक के माध्यम से वास्तविक पहाड़ियों की ओर ले जाते हैं और पाठक को यह महसूस कराते हैं कि उच्च घाटियों में यात्रा करना कैसा होता है, जहाँ यात्रा का गतिशील साधन अभी भी वैसा ही है जैसा कि कुछ हजार वर्षों से है और इसलिए कोई भी अपने दिमाग में उस देश की तस्वीर की कल्पना कर सकता है जहाँ इस कला को उत्पन्न किया गया था। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | xiv, 116 p. : Plates; Map |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, लंदन |
| dc.subject | हिमालयी कला, कांगड़ा घाटी, कांगड़ा की कला, कांगड़ा की चित्रकालाएँ, पहाड़ियाँ, 1931 |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1931 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-014215 |
| dc.format.medium | text |
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