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हिमालयन फ़ोकलोर

Author: ओकली, ई.एस.
तारा दत्त गैरोला

Keywords: हिमालयी लोकसाहित्य, लोक कथाएँ, हिमालय, 1935

Publisher: विपिन जैन, गुड़गाँव

Description: ई एस ओकली और तारा दत्त गैरोला द्वारा लिखित ‘हिमालयन फ़ोकलोर’ को वर्ष 1935 में प्रकाशित किया गया था। इस पुस्तक की विषय वस्तु को पाँच खंडों में विभाजित किया गया है। श्रीमान ओकली के संग्रह में हिमालय की पहाड़ियों के लोक साहित्य की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। लोगों की धारणाएँ एवं उनकी किंवदंतियाँ और गीत लगभग सभी साहित्य के स्रोत हैं; और उनकी संस्थाएँ और प्रथाएँ आधुनिक काल को जन्म देते हैं। लेखक के अनुसार, लोकसाहित्य, पुरातत्व और मानवशास्त्र के विज्ञान, तुलनात्मक पद्य, और धर्म अपरिहार्य हैं।

Source: Iइंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली

Type: दुर्लभ पुस्तक

Received From: इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र


DC Field Value
dc.contributor.author ओकली, ई.एस.
तारा दत्त गैरोला
dc.date.accessioned 2019-11-28T10:13:03Z
dc.date.available 2019-11-28T10:13:03Z
dc.description ई एस ओकली और तारा दत्त गैरोला द्वारा लिखित ‘हिमालयन फ़ोकलोर’ को वर्ष 1935 में प्रकाशित किया गया था। इस पुस्तक की विषय वस्तु को पाँच खंडों में विभाजित किया गया है। श्रीमान ओकली के संग्रह में हिमालय की पहाड़ियों के लोक साहित्य की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। लोगों की धारणाएँ एवं उनकी किंवदंतियाँ और गीत लगभग सभी साहित्य के स्रोत हैं; और उनकी संस्थाएँ और प्रथाएँ आधुनिक काल को जन्म देते हैं। लेखक के अनुसार, लोकसाहित्य, पुरातत्व और मानवशास्त्र के विज्ञान, तुलनात्मक पद्य, और धर्म अपरिहार्य हैं।
dc.source Iइंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली
dc.format.extent xii, 315 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher विपिन जैन, गुड़गाँव
dc.subject हिमालयी लोकसाहित्य, लोक कथाएँ, हिमालय, 1935
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1988
dc.identifier.accessionnumber 19374
dc.format.medium text
DC Field Value
dc.contributor.author ओकली, ई.एस.
तारा दत्त गैरोला
dc.date.accessioned 2019-11-28T10:13:03Z
dc.date.available 2019-11-28T10:13:03Z
dc.description ई एस ओकली और तारा दत्त गैरोला द्वारा लिखित ‘हिमालयन फ़ोकलोर’ को वर्ष 1935 में प्रकाशित किया गया था। इस पुस्तक की विषय वस्तु को पाँच खंडों में विभाजित किया गया है। श्रीमान ओकली के संग्रह में हिमालय की पहाड़ियों के लोक साहित्य की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। लोगों की धारणाएँ एवं उनकी किंवदंतियाँ और गीत लगभग सभी साहित्य के स्रोत हैं; और उनकी संस्थाएँ और प्रथाएँ आधुनिक काल को जन्म देते हैं। लेखक के अनुसार, लोकसाहित्य, पुरातत्व और मानवशास्त्र के विज्ञान, तुलनात्मक पद्य, और धर्म अपरिहार्य हैं।
dc.source Iइंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली
dc.format.extent xii, 315 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher विपिन जैन, गुड़गाँव
dc.subject हिमालयी लोकसाहित्य, लोक कथाएँ, हिमालय, 1935
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1988
dc.identifier.accessionnumber 19374
dc.format.medium text