अप्प्रोच टू नेचर इन इंडियन आर्ट एंड थॉट
Author: शिवराममूर्ति, सी.
Keywords: कला, भारत, प्रकृति, सौंदर्य, दिव्य गौरव
Publisher: कनक पब्लिकेशंस, नई दिल्ली
Description: यह पुस्तक अहमदाबाद स्थित जे. बी. इंस्टीट्यूट ऑफ़ रिसर्च एंड इंडोलॉजी में लेखक सी. शिवराममूर्ति द्वारा दिए गए व्याख्यानों की श्रृंखला से बनी है और भारतीयों के प्रकृति के प्रति दृष्टिकोण को प्रस्तुत करती है। इसमें प्रकृति को सुहावना, प्रेमपूर्ण और दिव्य गौरव से युक्त बताया गया है। साथ ही, पेड़, पहाड़, नदियों, जंगल, बादल, समुद्र, बदलते मौसम, टिमटिमाते तारों, पशु, पक्षी, फूल, तथा प्रकृति के हर पहलू को प्यार और स्नेह की कोमल भावना के साथ प्रस्तुत किया गया है।
Source: इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | शिवराममूर्ति, सी. |
| dc.date.accessioned | 2019-10-22T11:10:54Z |
| dc.date.available | 2019-10-22T11:10:54Z |
| dc.description | यह पुस्तक अहमदाबाद स्थित जे. बी. इंस्टीट्यूट ऑफ़ रिसर्च एंड इंडोलॉजी में लेखक सी. शिवराममूर्ति द्वारा दिए गए व्याख्यानों की श्रृंखला से बनी है और भारतीयों के प्रकृति के प्रति दृष्टिकोण को प्रस्तुत करती है। इसमें प्रकृति को सुहावना, प्रेमपूर्ण और दिव्य गौरव से युक्त बताया गया है। साथ ही, पेड़, पहाड़, नदियों, जंगल, बादल, समुद्र, बदलते मौसम, टिमटिमाते तारों, पशु, पक्षी, फूल, तथा प्रकृति के हर पहलू को प्यार और स्नेह की कोमल भावना के साथ प्रस्तुत किया गया है। |
| dc.source | इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र |
| dc.format.extent | xii,124 p. : 68 plates |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | कनक पब्लिकेशंस, नई दिल्ली |
| dc.subject | कला, भारत, प्रकृति, सौंदर्य, दिव्य गौरव |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1980 |
| dc.identifier.accessionnumber | 843 |
| dc.format.medium | text |
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | शिवराममूर्ति, सी. |
| dc.date.accessioned | 2019-10-22T11:10:54Z |
| dc.date.available | 2019-10-22T11:10:54Z |
| dc.description | यह पुस्तक अहमदाबाद स्थित जे. बी. इंस्टीट्यूट ऑफ़ रिसर्च एंड इंडोलॉजी में लेखक सी. शिवराममूर्ति द्वारा दिए गए व्याख्यानों की श्रृंखला से बनी है और भारतीयों के प्रकृति के प्रति दृष्टिकोण को प्रस्तुत करती है। इसमें प्रकृति को सुहावना, प्रेमपूर्ण और दिव्य गौरव से युक्त बताया गया है। साथ ही, पेड़, पहाड़, नदियों, जंगल, बादल, समुद्र, बदलते मौसम, टिमटिमाते तारों, पशु, पक्षी, फूल, तथा प्रकृति के हर पहलू को प्यार और स्नेह की कोमल भावना के साथ प्रस्तुत किया गया है। |
| dc.source | इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र |
| dc.format.extent | xii,124 p. : 68 plates |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | कनक पब्लिकेशंस, नई दिल्ली |
| dc.subject | कला, भारत, प्रकृति, सौंदर्य, दिव्य गौरव |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1980 |
| dc.identifier.accessionnumber | 843 |
| dc.format.medium | text |
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