एक्लेसिया डीविना ऑर अ सेलेक्शन ऑफ़ ह्यमंस फ़्रॉम द फ़ोर वेदास
Author: सरस्वती, भूमानंद
Keywords: वैदिक साहित्य, अंग्रेज़ी में वैदिक भजन
Publisher: आर्य समाज, नई दिल्ली
Description: भूमानंद सरस्वती द्वारा लिखित यह पुस्तक चार वेदों के मुख्य दर्शन के विस्तृत अध्ययन और स्पष्टीकरण को सम्मिलित करती है। इसमें कुछ चुने हुए वैदिक भजनों का अंग्रेज़ी में अनुवाद और अध्यायों की एक श्रृंखला सम्मिलित है। इस पुस्तक के अध्याय साम्राज्य की वैदिक अवधारणा, राजा और उनके मंत्रियों; मानव समाज की संवृद्धि; सार्वभौमिक देशभक्ति; सच्चे ज्ञान की खोज, और सर्वशक्तिमान ईश्वर की उपासना से संबंधित हैं।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | सरस्वती, भूमानंद |
| dc.date.accessioned | 2019-02-28T15:28:22Z |
| dc.date.available | 2019-02-28T15:28:22Z |
| dc.description | भूमानंद सरस्वती द्वारा लिखित यह पुस्तक चार वेदों के मुख्य दर्शन के विस्तृत अध्ययन और स्पष्टीकरण को सम्मिलित करती है। इसमें कुछ चुने हुए वैदिक भजनों का अंग्रेज़ी में अनुवाद और अध्यायों की एक श्रृंखला सम्मिलित है। इस पुस्तक के अध्याय साम्राज्य की वैदिक अवधारणा, राजा और उनके मंत्रियों; मानव समाज की संवृद्धि; सार्वभौमिक देशभक्ति; सच्चे ज्ञान की खोज, और सर्वशक्तिमान ईश्वर की उपासना से संबंधित हैं। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | cxcii, 408 p. |
| dc.format.mimetype | Application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | आर्य समाज, नई दिल्ली |
| dc.subject | वैदिक साहित्य, अंग्रेज़ी में वैदिक भजन |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1936 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-000291 |
| dc.format.medium | text |
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | सरस्वती, भूमानंद |
| dc.date.accessioned | 2019-02-28T15:28:22Z |
| dc.date.available | 2019-02-28T15:28:22Z |
| dc.description | भूमानंद सरस्वती द्वारा लिखित यह पुस्तक चार वेदों के मुख्य दर्शन के विस्तृत अध्ययन और स्पष्टीकरण को सम्मिलित करती है। इसमें कुछ चुने हुए वैदिक भजनों का अंग्रेज़ी में अनुवाद और अध्यायों की एक श्रृंखला सम्मिलित है। इस पुस्तक के अध्याय साम्राज्य की वैदिक अवधारणा, राजा और उनके मंत्रियों; मानव समाज की संवृद्धि; सार्वभौमिक देशभक्ति; सच्चे ज्ञान की खोज, और सर्वशक्तिमान ईश्वर की उपासना से संबंधित हैं। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | cxcii, 408 p. |
| dc.format.mimetype | Application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | आर्य समाज, नई दिल्ली |
| dc.subject | वैदिक साहित्य, अंग्रेज़ी में वैदिक भजन |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1936 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-000291 |
| dc.format.medium | text |
भारत सरकार


डिजिटल भविष्य के लिए स्वयं को तैयार करने की आवश्यकता को पहचानते हुए, ‘भारतीय संस्कृति’ पोर्टल, संस्कृति मंत्रालय द्वारा एक पहल है। यह एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जो पूरे भारत की विभिन्न रिपॉज़िटरियों और संस्थानों से सांस्कृतिक प्रासंगिकता के डेटा को प्रस्तुत करता है।
