Sorry, you need to enable JavaScript to visit this website.

एंशिएंट कर्नाटक, वॉल्यूम I: हिस्ट्री ऑफ़ तुलवा

Author: आनंद सालेटोर, भास्कर

Keywords: टुलुवा, अलुपा राजवंश

Publisher: ओरिएंटल बुक एजेंसी, पूना

Description: भास्कर आनंद सालेटोर द्वारा लिखित ‘एंशिएंट कर्नाटक, हिस्ट्री ऑफ़ टुलवा’ टुलवा प्रांत के इतिहास का विवरण देती है। पहला अध्याय टुलवा को भारत के पश्चिमी भाग की किंवदंतियों की पृष्ठभूमि में रखने का प्रयास करता है। दूसरे और तीसरे अध्याय अलुपा शासकों के, उनके स्वयं के पत्थर और तांबे की प्लेट शिलालेखों के आधार पर, घरेलू और विदेशी संबंधों का वर्णन करते हैं। चौथे अध्याय में, ग्रामपद्धति नामक कार्य में वर्णित, टुलवा परंपरा को सम्मिलित किया गया है। लोगों के धर्म और जीवन के वर्णन के साथ से इस पुस्तक का अंत होता है।

Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार

Type: दुर्लभ पुस्तक

Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार


DC Field Value
dc.contributor.author आनंद सालेटोर, भास्कर
dc.date.accessioned 2019-03-12T12:07:53Z
dc.date.available 2019-03-12T12:07:53Z
dc.description भास्कर आनंद सालेटोर द्वारा लिखित ‘एंशिएंट कर्नाटक, हिस्ट्री ऑफ़ टुलवा’ टुलवा प्रांत के इतिहास का विवरण देती है। पहला अध्याय टुलवा को भारत के पश्चिमी भाग की किंवदंतियों की पृष्ठभूमि में रखने का प्रयास करता है। दूसरे और तीसरे अध्याय अलुपा शासकों के, उनके स्वयं के पत्थर और तांबे की प्लेट शिलालेखों के आधार पर, घरेलू और विदेशी संबंधों का वर्णन करते हैं। चौथे अध्याय में, ग्रामपद्धति नामक कार्य में वर्णित, टुलवा परंपरा को सम्मिलित किया गया है। लोगों के धर्म और जीवन के वर्णन के साथ से इस पुस्तक का अंत होता है।
dc.source केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
dc.format.extent 659 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher ओरिएंटल बुक एजेंसी, पूना
dc.subject टुलुवा, अलुपा राजवंश
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1936
dc.identifier.accessionnumber AS-004917
dc.format.medium text
DC Field Value
dc.contributor.author आनंद सालेटोर, भास्कर
dc.date.accessioned 2019-03-12T12:07:53Z
dc.date.available 2019-03-12T12:07:53Z
dc.description भास्कर आनंद सालेटोर द्वारा लिखित ‘एंशिएंट कर्नाटक, हिस्ट्री ऑफ़ टुलवा’ टुलवा प्रांत के इतिहास का विवरण देती है। पहला अध्याय टुलवा को भारत के पश्चिमी भाग की किंवदंतियों की पृष्ठभूमि में रखने का प्रयास करता है। दूसरे और तीसरे अध्याय अलुपा शासकों के, उनके स्वयं के पत्थर और तांबे की प्लेट शिलालेखों के आधार पर, घरेलू और विदेशी संबंधों का वर्णन करते हैं। चौथे अध्याय में, ग्रामपद्धति नामक कार्य में वर्णित, टुलवा परंपरा को सम्मिलित किया गया है। लोगों के धर्म और जीवन के वर्णन के साथ से इस पुस्तक का अंत होता है।
dc.source केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
dc.format.extent 659 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher ओरिएंटल बुक एजेंसी, पूना
dc.subject टुलुवा, अलुपा राजवंश
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1936
dc.identifier.accessionnumber AS-004917
dc.format.medium text