अ ग्रामर ऑफ़ द ईस्टर्न हिंदी कंपेयर्ड विद द अदर गॉडियन लैंग्वेज
Author: हॉअरनल, ए.आर. रूडॉल्फ़
Keywords: हिंदी, व्याकरण, गौड़ीय, भाषा
Publisher: ट्रबनर, लंदन
Description: लेखक ने पूर्वी हिंदी का, इसकी गौड़ीय संबद्धताओं पर व्यापक टिप्पणियों सहित, व्याकरण प्रदान किया है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों, देशी विद्वानों से वार्तालापों के साथ-साथ स्थानीय लोगों के साथ कार्य करने वाले यूरोपीय लोगों से जानकारी प्राप्त की है। पुस्तक वर्णमाला के परिचय के साथ शुरू होती है और बाद में वाक्यांशों और संवादों पर चर्चा के साथ छह संस्करणों पर समाप्त होती है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | हॉअरनल, ए.आर. रूडॉल्फ़ |
| dc.coverage.spatial | India |
| dc.date.accessioned | 2018-07-25T05:43:53Z |
| dc.date.available | 2018-07-25T05:43:53Z |
| dc.description | लेखक ने पूर्वी हिंदी का, इसकी गौड़ीय संबद्धताओं पर व्यापक टिप्पणियों सहित, व्याकरण प्रदान किया है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों, देशी विद्वानों से वार्तालापों के साथ-साथ स्थानीय लोगों के साथ कार्य करने वाले यूरोपीय लोगों से जानकारी प्राप्त की है। पुस्तक वर्णमाला के परिचय के साथ शुरू होती है और बाद में वाक्यांशों और संवादों पर चर्चा के साथ छह संस्करणों पर समाप्त होती है। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | xl, 416 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी, हिंदी |
| dc.publisher | ट्रबनर, लंदन |
| dc.subject | हिंदी, व्याकरण, गौड़ीय, भाषा |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1880 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-001618 |
| dc.format.medium | text |
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | हॉअरनल, ए.आर. रूडॉल्फ़ |
| dc.coverage.spatial | India |
| dc.date.accessioned | 2018-07-25T05:43:53Z |
| dc.date.available | 2018-07-25T05:43:53Z |
| dc.description | लेखक ने पूर्वी हिंदी का, इसकी गौड़ीय संबद्धताओं पर व्यापक टिप्पणियों सहित, व्याकरण प्रदान किया है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों, देशी विद्वानों से वार्तालापों के साथ-साथ स्थानीय लोगों के साथ कार्य करने वाले यूरोपीय लोगों से जानकारी प्राप्त की है। पुस्तक वर्णमाला के परिचय के साथ शुरू होती है और बाद में वाक्यांशों और संवादों पर चर्चा के साथ छह संस्करणों पर समाप्त होती है। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | xl, 416 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी, हिंदी |
| dc.publisher | ट्रबनर, लंदन |
| dc.subject | हिंदी, व्याकरण, गौड़ीय, भाषा |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1880 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-001618 |
| dc.format.medium | text |
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