हिम्स ऑफ़ द ऋग्वेद
Author: मैनिंग, शार्लट
Keywords: ऋग्वेद, भजन, वेद, पाणिनि, संस्कृत
Publisher: सुशील गुप्ता, कलकत्ता
Description: शार्लट मैनिंग द्वारा लिखित, यह पुस्तक, संस्कृत के सबसे पुराने कार्य, ऋग्वेद के भजनों को सूचीबद्ध करती है। यह प्रार्थनाओं और भजनों को सम्मिलित करती है जो प्रकृति के भव्य और सुंदर प्रतिभास को संबोधित करते हैं। इन प्रार्थनाओं और भजनों की रचना कब की गई थी, यह संभवतः कभी भी निश्चितता के साथ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन हम यह निसंदेह कह सकते हैं कि, अपने वर्तमान प्रतिरूप में, वे लगभग 1200 ईसा पूर्व. के बाद संग्रहीत नहीं किए गए थे, और यह कि वे भारत के महानतम व्याकरणाचार्य पाणिनि के समय से पहले लिखे गए थे।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | मैनिंग, शार्लट |
| dc.date.accessioned | 2018-07-31T08:28:38Z |
| dc.date.available | 2018-07-31T08:28:38Z |
| dc.description | शार्लट मैनिंग द्वारा लिखित, यह पुस्तक, संस्कृत के सबसे पुराने कार्य, ऋग्वेद के भजनों को सूचीबद्ध करती है। यह प्रार्थनाओं और भजनों को सम्मिलित करती है जो प्रकृति के भव्य और सुंदर प्रतिभास को संबोधित करते हैं। इन प्रार्थनाओं और भजनों की रचना कब की गई थी, यह संभवतः कभी भी निश्चितता के साथ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन हम यह निसंदेह कह सकते हैं कि, अपने वर्तमान प्रतिरूप में, वे लगभग 1200 ईसा पूर्व. के बाद संग्रहीत नहीं किए गए थे, और यह कि वे भारत के महानतम व्याकरणाचार्य पाणिनि के समय से पहले लिखे गए थे। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | 134 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | सुशील गुप्ता, कलकत्ता |
| dc.subject | ऋग्वेद, भजन, वेद, पाणिनि, संस्कृत |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1952 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-005277 |
| dc.format.medium | text |
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | मैनिंग, शार्लट |
| dc.date.accessioned | 2018-07-31T08:28:38Z |
| dc.date.available | 2018-07-31T08:28:38Z |
| dc.description | शार्लट मैनिंग द्वारा लिखित, यह पुस्तक, संस्कृत के सबसे पुराने कार्य, ऋग्वेद के भजनों को सूचीबद्ध करती है। यह प्रार्थनाओं और भजनों को सम्मिलित करती है जो प्रकृति के भव्य और सुंदर प्रतिभास को संबोधित करते हैं। इन प्रार्थनाओं और भजनों की रचना कब की गई थी, यह संभवतः कभी भी निश्चितता के साथ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन हम यह निसंदेह कह सकते हैं कि, अपने वर्तमान प्रतिरूप में, वे लगभग 1200 ईसा पूर्व. के बाद संग्रहीत नहीं किए गए थे, और यह कि वे भारत के महानतम व्याकरणाचार्य पाणिनि के समय से पहले लिखे गए थे। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | 134 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | सुशील गुप्ता, कलकत्ता |
| dc.subject | ऋग्वेद, भजन, वेद, पाणिनि, संस्कृत |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1952 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-005277 |
| dc.format.medium | text |
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