Sorry, you need to enable JavaScript to visit this website.

हिस्ट्री ऑफ़ द आर्ट ऑफ़ उड़ीसा

Author: फ़ेब्री, चार्ल्स लुई

Keywords: कला, इतिहास, रोकोको शैली, आर्य-पूर्व, वास्तुकला

Publisher: ओरिएंट लॉन्गमैन, बॉम्बे

Description: यह मरणोपरांत प्रकाशन उड़ीसा की कला विरासत की हमारी समझ में दो प्रमुख अंतरालों को पाटता है। सबसे पहले, यह इस क्षेत्र के कला इतिहास की बिखरी हुई सामग्री को एक अनुक्रमिक वृत्तांत में व्यवस्थित करके प्रस्तुत करने का अग्रणी प्रयास है, आर्य-पूर्व पुरातन शैलियों से लेकर 6वीं से 14वीं शताब्दी ईस्वी तक की अवधि को सम्मिलित करते हुए, जब उड़ीसा में मंदिरों की वास्तुकला, लेखक चार्ल्स लुई फ़ेब्री के अनुसार, बरोक और रोकोको शैलियों के सामान विकसित हो गई थी। यह खंड उड़ीसा के विशाल लेकिन छिपे हुए कला खजाने के अंतर्देशीय और अप्राप्य भाग के हमारे अल्प ज्ञान का विस्तार करता है।

Source: इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र

Type: दुर्लभ पुस्तक

Received From: इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र


DC Field Value
dc.contributor.author फ़ेब्री, चार्ल्स लुई
dc.date.accessioned 2019-10-22T05:59:55Z
dc.date.available 2019-10-22T05:59:55Z
dc.description यह मरणोपरांत प्रकाशन उड़ीसा की कला विरासत की हमारी समझ में दो प्रमुख अंतरालों को पाटता है। सबसे पहले, यह इस क्षेत्र के कला इतिहास की बिखरी हुई सामग्री को एक अनुक्रमिक वृत्तांत में व्यवस्थित करके प्रस्तुत करने का अग्रणी प्रयास है, आर्य-पूर्व पुरातन शैलियों से लेकर 6वीं से 14वीं शताब्दी ईस्वी तक की अवधि को सम्मिलित करते हुए, जब उड़ीसा में मंदिरों की वास्तुकला, लेखक चार्ल्स लुई फ़ेब्री के अनुसार, बरोक और रोकोको शैलियों के सामान विकसित हो गई थी। यह खंड उड़ीसा के विशाल लेकिन छिपे हुए कला खजाने के अंतर्देशीय और अप्राप्य भाग के हमारे अल्प ज्ञान का विस्तार करता है।
dc.source इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र
dc.format.extent various pages
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher ओरिएंट लॉन्गमैन, बॉम्बे
dc.subject कला, इतिहास, रोकोको शैली, आर्य-पूर्व, वास्तुकला
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1974
dc.identifier.accessionnumber 923
dc.format.medium text
DC Field Value
dc.contributor.author फ़ेब्री, चार्ल्स लुई
dc.date.accessioned 2019-10-22T05:59:55Z
dc.date.available 2019-10-22T05:59:55Z
dc.description यह मरणोपरांत प्रकाशन उड़ीसा की कला विरासत की हमारी समझ में दो प्रमुख अंतरालों को पाटता है। सबसे पहले, यह इस क्षेत्र के कला इतिहास की बिखरी हुई सामग्री को एक अनुक्रमिक वृत्तांत में व्यवस्थित करके प्रस्तुत करने का अग्रणी प्रयास है, आर्य-पूर्व पुरातन शैलियों से लेकर 6वीं से 14वीं शताब्दी ईस्वी तक की अवधि को सम्मिलित करते हुए, जब उड़ीसा में मंदिरों की वास्तुकला, लेखक चार्ल्स लुई फ़ेब्री के अनुसार, बरोक और रोकोको शैलियों के सामान विकसित हो गई थी। यह खंड उड़ीसा के विशाल लेकिन छिपे हुए कला खजाने के अंतर्देशीय और अप्राप्य भाग के हमारे अल्प ज्ञान का विस्तार करता है।
dc.source इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र
dc.format.extent various pages
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher ओरिएंट लॉन्गमैन, बॉम्बे
dc.subject कला, इतिहास, रोकोको शैली, आर्य-पूर्व, वास्तुकला
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1974
dc.identifier.accessionnumber 923
dc.format.medium text