हिस्ट्री ऑफ़ द सिख्स 1739-1768
Author: गुप्ता, हरि राम
Keywords: सिख इतिहास, सिख राज्यसंघ, 1739-1768, रणजीत सिंह
Publisher: एस.एन. सार्क, लाहौर
Description: इस पुस्तक की शुरुआत सिखों के लूट-पाट दस्तों (1739-45), दल खालसा (1745-48), सिख और मुइन-उल-मुल्क (1748-53), राखी प्रणाली (1753-57), सिखों और तैमूर शाह (मई 1757-58), क्षेत्रीय अधिग्रहण की शुरुआत (जून 1758-अक्टूबर 1759), आल्हा सिंह के तहत मालवा सिखों की शांतिपूर्ण प्रगति (1739-1761), सिखों द्वारा लाहौर का परिग्रहण और पैसा बनाना (अक्टूबर 1759- दिसंबर 1761), घल्लू घारा और जनवरी-दिसंबर 1762 के बाद के समय में सरहिंद प्रांत पर विजय (जनवरी 1763-जनवरी 1764), आदि, के बारे में बात करते हुए होती है। इस पुस्तक का समापन सिखों के जीवन और शिष्टाचारों तथा देश की स्थिति का उल्लेख करते हुए किया गया है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | गुप्ता, हरि राम |
| dc.date.accessioned | 2019-02-23T15:53:34Z |
| dc.date.available | 2019-02-23T15:53:34Z |
| dc.description | इस पुस्तक की शुरुआत सिखों के लूट-पाट दस्तों (1739-45), दल खालसा (1745-48), सिख और मुइन-उल-मुल्क (1748-53), राखी प्रणाली (1753-57), सिखों और तैमूर शाह (मई 1757-58), क्षेत्रीय अधिग्रहण की शुरुआत (जून 1758-अक्टूबर 1759), आल्हा सिंह के तहत मालवा सिखों की शांतिपूर्ण प्रगति (1739-1761), सिखों द्वारा लाहौर का परिग्रहण और पैसा बनाना (अक्टूबर 1759- दिसंबर 1761), घल्लू घारा और जनवरी-दिसंबर 1762 के बाद के समय में सरहिंद प्रांत पर विजय (जनवरी 1763-जनवरी 1764), आदि, के बारे में बात करते हुए होती है। इस पुस्तक का समापन सिखों के जीवन और शिष्टाचारों तथा देश की स्थिति का उल्लेख करते हुए किया गया है। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | xiv, 347 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | एस.एन. सार्क, लाहौर |
| dc.subject | सिख इतिहास, सिख राज्यसंघ, 1739-1768, रणजीत सिंह |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1939 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-002912 |
| dc.format.medium | text |
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | गुप्ता, हरि राम |
| dc.date.accessioned | 2019-02-23T15:53:34Z |
| dc.date.available | 2019-02-23T15:53:34Z |
| dc.description | इस पुस्तक की शुरुआत सिखों के लूट-पाट दस्तों (1739-45), दल खालसा (1745-48), सिख और मुइन-उल-मुल्क (1748-53), राखी प्रणाली (1753-57), सिखों और तैमूर शाह (मई 1757-58), क्षेत्रीय अधिग्रहण की शुरुआत (जून 1758-अक्टूबर 1759), आल्हा सिंह के तहत मालवा सिखों की शांतिपूर्ण प्रगति (1739-1761), सिखों द्वारा लाहौर का परिग्रहण और पैसा बनाना (अक्टूबर 1759- दिसंबर 1761), घल्लू घारा और जनवरी-दिसंबर 1762 के बाद के समय में सरहिंद प्रांत पर विजय (जनवरी 1763-जनवरी 1764), आदि, के बारे में बात करते हुए होती है। इस पुस्तक का समापन सिखों के जीवन और शिष्टाचारों तथा देश की स्थिति का उल्लेख करते हुए किया गया है। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | xiv, 347 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | एस.एन. सार्क, लाहौर |
| dc.subject | सिख इतिहास, सिख राज्यसंघ, 1739-1768, रणजीत सिंह |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1939 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-002912 |
| dc.format.medium | text |
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