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हिस्ट्री ऑफ़ प्री-मुसलमान इंडिया

Author: रंगाचार्य, वी.

Keywords: मुसलमान-पूर्व काल, वैदिक संस्कृति, आर्य, आर्यों का विस्तार, भारत

Publisher: हक्सली प्रेस, मद्रास

Description: वी. रंगाचार्य द्वारा लिखित 'हिस्ट्री ऑफ़ प्री-मुसलमान इंडिया वॉल 2' वर्ष 1937 में प्रकाशित हुई थी। यह पुस्तक वैदिक भारत के बारे में बताती है। इस पुस्तक को दो भागों में बांटा गया है। पहला भाग भारत में आर्य विस्तार के बारे में है, और दूसरा भाग वैदिक संस्कृति के बारे में। लेखक भारतीय सभ्यता के सामंजस्यपूर्ण और सम्मिश्रित चरित्र को 'आर्य सिद्धांत' का सबसे सटीक विरोधी मानता है। हालाँकि यह देखा गया है कि भारतीय संस्कृति के मौलिक आधार और आदर्शों को सबसे अच्छी तरह से उस संबंध में व्यक्त किया जा सकता है जो आम तौर पर 'आर्यों' से जुड़े होते हैं।

Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार

Type: दुर्लभ पुस्तक

Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार


DC Field Value
dc.contributor.author रंगाचार्य, वी.
dc.date.accessioned 2018-07-23T08:15:47Z
dc.date.available 2018-07-23T08:15:47Z
dc.description वी. रंगाचार्य द्वारा लिखित 'हिस्ट्री ऑफ़ प्री-मुसलमान इंडिया वॉल 2' वर्ष 1937 में प्रकाशित हुई थी। यह पुस्तक वैदिक भारत के बारे में बताती है। इस पुस्तक को दो भागों में बांटा गया है। पहला भाग भारत में आर्य विस्तार के बारे में है, और दूसरा भाग वैदिक संस्कृति के बारे में। लेखक भारतीय सभ्यता के सामंजस्यपूर्ण और सम्मिश्रित चरित्र को 'आर्य सिद्धांत' का सबसे सटीक विरोधी मानता है। हालाँकि यह देखा गया है कि भारतीय संस्कृति के मौलिक आधार और आदर्शों को सबसे अच्छी तरह से उस संबंध में व्यक्त किया जा सकता है जो आम तौर पर 'आर्यों' से जुड़े होते हैं।
dc.source केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
dc.format.extent xv, 566 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher हक्सली प्रेस, मद्रास
dc.subject मुसलमान-पूर्व काल, वैदिक संस्कृति, आर्य, आर्यों का विस्तार, भारत
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1937
dc.identifier.accessionnumber AS-002617
dc.format.medium text
DC Field Value
dc.contributor.author रंगाचार्य, वी.
dc.date.accessioned 2018-07-23T08:15:47Z
dc.date.available 2018-07-23T08:15:47Z
dc.description वी. रंगाचार्य द्वारा लिखित 'हिस्ट्री ऑफ़ प्री-मुसलमान इंडिया वॉल 2' वर्ष 1937 में प्रकाशित हुई थी। यह पुस्तक वैदिक भारत के बारे में बताती है। इस पुस्तक को दो भागों में बांटा गया है। पहला भाग भारत में आर्य विस्तार के बारे में है, और दूसरा भाग वैदिक संस्कृति के बारे में। लेखक भारतीय सभ्यता के सामंजस्यपूर्ण और सम्मिश्रित चरित्र को 'आर्य सिद्धांत' का सबसे सटीक विरोधी मानता है। हालाँकि यह देखा गया है कि भारतीय संस्कृति के मौलिक आधार और आदर्शों को सबसे अच्छी तरह से उस संबंध में व्यक्त किया जा सकता है जो आम तौर पर 'आर्यों' से जुड़े होते हैं।
dc.source केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
dc.format.extent xv, 566 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher हक्सली प्रेस, मद्रास
dc.subject मुसलमान-पूर्व काल, वैदिक संस्कृति, आर्य, आर्यों का विस्तार, भारत
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1937
dc.identifier.accessionnumber AS-002617
dc.format.medium text