कस्टम्स एंड कस्टमरी लॉ इन ब्रिटिश इंडिया
Author: रॉय, श्रीपति
Keywords: रीति-रिवाज, प्रथागत कानून, औपनिवेशिक कानून, श्रीपति रॉय, ब्रिटिश
Publisher: थारे प्रेस, कलकत्ता
Description: यह कृति 1908 और 1909 के दौरान कलकत्ता विश्वविद्यालय में लेखक द्वारा दिए गए व्याख्यानों की श्रृंखला पर आधारित है। परिचय भाग के अलावा, इस पुस्तक में कुल अठारह अध्याय हैं। इस पुस्तक की शुरुआत में कानूनों के निर्माण और उनके अर्थ, रीति-रिवाजों और कानूनों के बीच अंतर, तथा प्रथाओं के वर्गीकरण, आदि, के बारे में चर्चा शामिल है। लेखक परिवार, स्थानीय एवं जातिगत रीति-रिवाजों, विभिन्न धर्मों और क्षेत्रों से संबंधित रीति-रिवाजों, तथा गैरकानूनी रीति-रिवाजों के बारे में भी बात करता है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | रॉय, श्रीपति |
| dc.coverage.spatial | India |
| dc.date.accessioned | 2018-07-27T07:51:20Z |
| dc.date.available | 2018-07-27T07:51:20Z |
| dc.description | यह कृति 1908 और 1909 के दौरान कलकत्ता विश्वविद्यालय में लेखक द्वारा दिए गए व्याख्यानों की श्रृंखला पर आधारित है। परिचय भाग के अलावा, इस पुस्तक में कुल अठारह अध्याय हैं। इस पुस्तक की शुरुआत में कानूनों के निर्माण और उनके अर्थ, रीति-रिवाजों और कानूनों के बीच अंतर, तथा प्रथाओं के वर्गीकरण, आदि, के बारे में चर्चा शामिल है। लेखक परिवार, स्थानीय एवं जातिगत रीति-रिवाजों, विभिन्न धर्मों और क्षेत्रों से संबंधित रीति-रिवाजों, तथा गैरकानूनी रीति-रिवाजों के बारे में भी बात करता है। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | xl, 621 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | English |
| dc.publisher | थारे प्रेस, कलकत्ता |
| dc.subject | रीति-रिवाज, प्रथागत कानून, औपनिवेशिक कानून, श्रीपति रॉय, ब्रिटिश |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1911 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-001190 |
| dc.format.medium | text |
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | रॉय, श्रीपति |
| dc.coverage.spatial | India |
| dc.date.accessioned | 2018-07-27T07:51:20Z |
| dc.date.available | 2018-07-27T07:51:20Z |
| dc.description | यह कृति 1908 और 1909 के दौरान कलकत्ता विश्वविद्यालय में लेखक द्वारा दिए गए व्याख्यानों की श्रृंखला पर आधारित है। परिचय भाग के अलावा, इस पुस्तक में कुल अठारह अध्याय हैं। इस पुस्तक की शुरुआत में कानूनों के निर्माण और उनके अर्थ, रीति-रिवाजों और कानूनों के बीच अंतर, तथा प्रथाओं के वर्गीकरण, आदि, के बारे में चर्चा शामिल है। लेखक परिवार, स्थानीय एवं जातिगत रीति-रिवाजों, विभिन्न धर्मों और क्षेत्रों से संबंधित रीति-रिवाजों, तथा गैरकानूनी रीति-रिवाजों के बारे में भी बात करता है। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | xl, 621 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | English |
| dc.publisher | थारे प्रेस, कलकत्ता |
| dc.subject | रीति-रिवाज, प्रथागत कानून, औपनिवेशिक कानून, श्रीपति रॉय, ब्रिटिश |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1911 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-001190 |
| dc.format.medium | text |
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