फ़ॉरेन नोटिसेज़ ऑफ़ साउथ इंडिया फ़्रॉम मेगास्थनीज़ टू मा हुआन
Author: शास्त्री, के.ए. नीलकंठ
Editor: Sastri, K.A. Nilakanta
Keywords: दक्षिण भारत, विदेशी वर्णन, मेगास्थनीज़, नीलकंठ शास्त्री, भारतीय इतिहास
Publisher: मद्रास यूनिवर्सिटी, मद्रास
Description: नीलकंठ शास्त्री द्वारा संकलित, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जिसमें कई पुस्तकों और पत्रिकाओं में फैले हुए 'दक्षिण भारत के विदेशी वर्णन' शामिल हैं। इसके स्रोत में मुख्य रूप से यूनानी, लैटिन, अरबी, फ़ारसी और चीनी भाषा में लेखन के अंग्रेज़ी अनुवाद हैं। इस पुस्तक में कुल चौंतीस अध्याय और चार परिशिष्ट हैं। इसमें दक्षिण भारत के बारे में मेगास्थनीज़ से लेकर मा हुआन तक की अवधि के व्याख्यान दिए गए हैं। यह इस क्षेत्र के भूगोल, राजनीतिक घटनाक्रम और वहाँ विदेशियों की उपस्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | शास्त्री, के.ए. नीलकंठ |
| dc.contributor.editor | Sastri, K.A. Nilakanta |
| dc.date.accessioned | 2019-03-06T16:26:18Z |
| dc.date.available | 2019-03-06T16:26:18Z |
| dc.description | नीलकंठ शास्त्री द्वारा संकलित, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जिसमें कई पुस्तकों और पत्रिकाओं में फैले हुए 'दक्षिण भारत के विदेशी वर्णन' शामिल हैं। इसके स्रोत में मुख्य रूप से यूनानी, लैटिन, अरबी, फ़ारसी और चीनी भाषा में लेखन के अंग्रेज़ी अनुवाद हैं। इस पुस्तक में कुल चौंतीस अध्याय और चार परिशिष्ट हैं। इसमें दक्षिण भारत के बारे में मेगास्थनीज़ से लेकर मा हुआन तक की अवधि के व्याख्यान दिए गए हैं। यह इस क्षेत्र के भूगोल, राजनीतिक घटनाक्रम और वहाँ विदेशियों की उपस्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करती है। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | xiv, 341 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | मद्रास यूनिवर्सिटी, मद्रास |
| dc.relation.ispartofseries | Madras University Historical Series/ edited by K.A. Nilakanta Sastri;No. 14 |
| dc.subject | दक्षिण भारत, विदेशी वर्णन, मेगास्थनीज़, नीलकंठ शास्त्री, भारतीय इतिहास |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1939 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-004809 |
| dc.format.medium | text |
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | शास्त्री, के.ए. नीलकंठ |
| dc.contributor.editor | Sastri, K.A. Nilakanta |
| dc.date.accessioned | 2019-03-06T16:26:18Z |
| dc.date.available | 2019-03-06T16:26:18Z |
| dc.description | नीलकंठ शास्त्री द्वारा संकलित, यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जिसमें कई पुस्तकों और पत्रिकाओं में फैले हुए 'दक्षिण भारत के विदेशी वर्णन' शामिल हैं। इसके स्रोत में मुख्य रूप से यूनानी, लैटिन, अरबी, फ़ारसी और चीनी भाषा में लेखन के अंग्रेज़ी अनुवाद हैं। इस पुस्तक में कुल चौंतीस अध्याय और चार परिशिष्ट हैं। इसमें दक्षिण भारत के बारे में मेगास्थनीज़ से लेकर मा हुआन तक की अवधि के व्याख्यान दिए गए हैं। यह इस क्षेत्र के भूगोल, राजनीतिक घटनाक्रम और वहाँ विदेशियों की उपस्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करती है। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | xiv, 341 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | मद्रास यूनिवर्सिटी, मद्रास |
| dc.relation.ispartofseries | Madras University Historical Series/ edited by K.A. Nilakanta Sastri;No. 14 |
| dc.subject | दक्षिण भारत, विदेशी वर्णन, मेगास्थनीज़, नीलकंठ शास्त्री, भारतीय इतिहास |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1939 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-004809 |
| dc.format.medium | text |
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