फ़ॉरेस्ट्री इन ब्रिटिश इंडिया
Author: रिबेनट्रॉप, बी.
Keywords: वन, वानिकी, वन नीति, वन कानून, वन सर्वेक्षण
Publisher: अधीक्षक सरकारी मुद्रण, कलकत्ता
Description: बर्थोल्ड रिबेनट्रॉप द्वारा लिखित 'फ़ॉरेस्ट्री इन ब्रिटिश इंडिया' भारत के वनों की उपज करने वाले देश के रूप में संभावनाओं के बारे में विस्तृत विवरण देती है। इस कार्य में सदाबहार वन, पर्णपाती वन, शुष्क वन, उच्च-पर्वतीय वन, तटवर्तीय वन, तथा बर्मा और बंगाल के समुद्रतटीय एवं ज्वारीय वन शामिल हैं। इसमें ऐसे क्षेत्रों के बारे में व्याख्याएँ भी शामिल हैं जिनमें कोई भी प्राकृतिक वन नहीं उगता है, और साथ ही भारतीय वनों पर मनुष्य का प्रभाव, वन कानूनों, वन आबादियों, वन सर्वेक्षणों और भारतीय वन साहित्य भी शामिल हैं।
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | रिबेनट्रॉप, बी. |
| dc.date.accessioned | 2019-02-18T12:05:57Z |
| dc.date.available | 2019-02-18T12:05:57Z |
| dc.description | बर्थोल्ड रिबेनट्रॉप द्वारा लिखित 'फ़ॉरेस्ट्री इन ब्रिटिश इंडिया' भारत के वनों की उपज करने वाले देश के रूप में संभावनाओं के बारे में विस्तृत विवरण देती है। इस कार्य में सदाबहार वन, पर्णपाती वन, शुष्क वन, उच्च-पर्वतीय वन, तटवर्तीय वन, तथा बर्मा और बंगाल के समुद्रतटीय एवं ज्वारीय वन शामिल हैं। इसमें ऐसे क्षेत्रों के बारे में व्याख्याएँ भी शामिल हैं जिनमें कोई भी प्राकृतिक वन नहीं उगता है, और साथ ही भारतीय वनों पर मनुष्य का प्रभाव, वन कानूनों, वन आबादियों, वन सर्वेक्षणों और भारतीय वन साहित्य भी शामिल हैं। |
| dc.format.extent | ii, 245 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | अधीक्षक सरकारी मुद्रण, कलकत्ता |
| dc.subject | वन, वानिकी, वन नीति, वन कानून, वन सर्वेक्षण |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1900 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-001887 |
| dc.format.medium | text |
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | रिबेनट्रॉप, बी. |
| dc.date.accessioned | 2019-02-18T12:05:57Z |
| dc.date.available | 2019-02-18T12:05:57Z |
| dc.description | बर्थोल्ड रिबेनट्रॉप द्वारा लिखित 'फ़ॉरेस्ट्री इन ब्रिटिश इंडिया' भारत के वनों की उपज करने वाले देश के रूप में संभावनाओं के बारे में विस्तृत विवरण देती है। इस कार्य में सदाबहार वन, पर्णपाती वन, शुष्क वन, उच्च-पर्वतीय वन, तटवर्तीय वन, तथा बर्मा और बंगाल के समुद्रतटीय एवं ज्वारीय वन शामिल हैं। इसमें ऐसे क्षेत्रों के बारे में व्याख्याएँ भी शामिल हैं जिनमें कोई भी प्राकृतिक वन नहीं उगता है, और साथ ही भारतीय वनों पर मनुष्य का प्रभाव, वन कानूनों, वन आबादियों, वन सर्वेक्षणों और भारतीय वन साहित्य भी शामिल हैं। |
| dc.format.extent | ii, 245 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | अधीक्षक सरकारी मुद्रण, कलकत्ता |
| dc.subject | वन, वानिकी, वन नीति, वन कानून, वन सर्वेक्षण |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1900 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-001887 |
| dc.format.medium | text |
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