अ रोमन अल्फ़ाबेट फ़ॉर इंडिया
Author: चटर्जी, सुनीति कुमार
Keywords: भाषा, रोमन, वर्णमाला, स्वर-शास्र, ध्वन्यात्मक अध्ययन, लिपि, भारतीय लिपि
Publisher: कलकत्ता यूनिवर्सिटी प्रेस, कलकत्ता
Description: इस पुस्तक में, लेखक भारत की विभिन्न भाषाओं को लिखने के लिए रोमन वर्णमाला के उपयोग का सुझाव देता है। उसका मानना था कि कोई एक वर्णमाला, जिसमें सभी भारतीय भाषाओं को लिखा जा सकता है, वांछनीय है। वह भारत में उपयोग की जाने वाली लिपियों के फ़ायदे और नुकसान को दिखाते हुए शुरू करता है, और यह तर्क देता है कि देवनागरी एक विकल्प हो सकता है, लेकिन बहुत कम उम्मीद है कि इसका उपयोग मुसलमानों, जो फ़ारस-अरबी लिपि के आदि हैं, द्वारा किया जाएगा। इस तरह से, वह दर्शाता है कि कैसे रोमन लिपि भारत में, इसके उपयोग के लिए, एक उपयोगी विकल्प प्रदान करती है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | चटर्जी, सुनीति कुमार |
| dc.date.accessioned | 2019-02-19T14:43:24Z |
| dc.date.available | 2019-02-19T14:43:24Z |
| dc.description | इस पुस्तक में, लेखक भारत की विभिन्न भाषाओं को लिखने के लिए रोमन वर्णमाला के उपयोग का सुझाव देता है। उसका मानना था कि कोई एक वर्णमाला, जिसमें सभी भारतीय भाषाओं को लिखा जा सकता है, वांछनीय है। वह भारत में उपयोग की जाने वाली लिपियों के फ़ायदे और नुकसान को दिखाते हुए शुरू करता है, और यह तर्क देता है कि देवनागरी एक विकल्प हो सकता है, लेकिन बहुत कम उम्मीद है कि इसका उपयोग मुसलमानों, जो फ़ारस-अरबी लिपि के आदि हैं, द्वारा किया जाएगा। इस तरह से, वह दर्शाता है कि कैसे रोमन लिपि भारत में, इसके उपयोग के लिए, एक उपयोगी विकल्प प्रदान करती है। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | 58 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | कलकत्ता यूनिवर्सिटी प्रेस, कलकत्ता |
| dc.relation.ispartofseries | Calcutta University phonetic studies No.4/ edited by Suniti Kumar Chatterji |
| dc.subject | भाषा, रोमन, वर्णमाला, स्वर-शास्र, ध्वन्यात्मक अध्ययन, लिपि, भारतीय लिपि |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1935 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-001546 |
| dc.format.medium | text |
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | चटर्जी, सुनीति कुमार |
| dc.date.accessioned | 2019-02-19T14:43:24Z |
| dc.date.available | 2019-02-19T14:43:24Z |
| dc.description | इस पुस्तक में, लेखक भारत की विभिन्न भाषाओं को लिखने के लिए रोमन वर्णमाला के उपयोग का सुझाव देता है। उसका मानना था कि कोई एक वर्णमाला, जिसमें सभी भारतीय भाषाओं को लिखा जा सकता है, वांछनीय है। वह भारत में उपयोग की जाने वाली लिपियों के फ़ायदे और नुकसान को दिखाते हुए शुरू करता है, और यह तर्क देता है कि देवनागरी एक विकल्प हो सकता है, लेकिन बहुत कम उम्मीद है कि इसका उपयोग मुसलमानों, जो फ़ारस-अरबी लिपि के आदि हैं, द्वारा किया जाएगा। इस तरह से, वह दर्शाता है कि कैसे रोमन लिपि भारत में, इसके उपयोग के लिए, एक उपयोगी विकल्प प्रदान करती है। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | 58 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | कलकत्ता यूनिवर्सिटी प्रेस, कलकत्ता |
| dc.relation.ispartofseries | Calcutta University phonetic studies No.4/ edited by Suniti Kumar Chatterji |
| dc.subject | भाषा, रोमन, वर्णमाला, स्वर-शास्र, ध्वन्यात्मक अध्ययन, लिपि, भारतीय लिपि |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1935 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-001546 |
| dc.format.medium | text |
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