अ सोशल एंड इकॉनॉमिक सर्वे ऑफ़ अ कोंकण विलेज
Author: राणाडे, वी.जी.
Keywords: ग्रामीण भारत, गाँव, कोंकण, गाँव का जीवन, ग्रामीण जीवन, भारतीय गाँव, ग्रामीण समाज, प्रथाएँ, आर्थिक परिस्थितियाँ
Publisher: प्रांतीय सहकारी संस्था, बंबई
Description: यह पुस्तक एक प्रतीकात्मक कोंकण गाँव की परिस्थितियों की तत्कालीन प्रचलित दशा को सटीक रूप से चित्रित करने का एक प्रयास है। यह कोंकणी ग्राम वासियों के साथ लेखक के अपने पारस्परिक संपर्क पर आधारित है। लेखक ने महसूस किया कि भारतीय गाँवों में जीवन की स्थितियों का एक विस्तृत अध्ययन भारत के आर्थिक उत्थान की दिशा में पहला कदम होगा। पुस्तक में गाँव की भौगोलिक विशेषताओं, इसकी भूमि के विभाजन, भू-राजस्व, पैदावार, कृषि, पशुधन के साथ-साथ गाँव के लोगों, उनके आवास, धर्म, सामाजिक प्रथाओं, शिक्षा, दैनिक दिनचर्या, व्यवसाय, भोजन, पहनावे और आर्थिक स्थितियों पर अध्याय शामिल हैं।
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | राणाडे, वी.जी. |
| dc.date.accessioned | 2019-02-18T15:03:20Z |
| dc.date.available | 2019-02-18T15:03:20Z |
| dc.description | यह पुस्तक एक प्रतीकात्मक कोंकण गाँव की परिस्थितियों की तत्कालीन प्रचलित दशा को सटीक रूप से चित्रित करने का एक प्रयास है। यह कोंकणी ग्राम वासियों के साथ लेखक के अपने पारस्परिक संपर्क पर आधारित है। लेखक ने महसूस किया कि भारतीय गाँवों में जीवन की स्थितियों का एक विस्तृत अध्ययन भारत के आर्थिक उत्थान की दिशा में पहला कदम होगा। पुस्तक में गाँव की भौगोलिक विशेषताओं, इसकी भूमि के विभाजन, भू-राजस्व, पैदावार, कृषि, पशुधन के साथ-साथ गाँव के लोगों, उनके आवास, धर्म, सामाजिक प्रथाओं, शिक्षा, दैनिक दिनचर्या, व्यवसाय, भोजन, पहनावे और आर्थिक स्थितियों पर अध्याय शामिल हैं। |
| dc.format.extent | 113 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | प्रांतीय सहकारी संस्था, बंबई |
| dc.relation.ispartofseries | Rural economic series;3 |
| dc.subject | ग्रामीण भारत, गाँव, कोंकण, गाँव का जीवन, ग्रामीण जीवन, भारतीय गाँव, ग्रामीण समाज, प्रथाएँ, आर्थिक परिस्थितियाँ |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1927 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-004978 |
| dc.format.medium | text |
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | राणाडे, वी.जी. |
| dc.date.accessioned | 2019-02-18T15:03:20Z |
| dc.date.available | 2019-02-18T15:03:20Z |
| dc.description | यह पुस्तक एक प्रतीकात्मक कोंकण गाँव की परिस्थितियों की तत्कालीन प्रचलित दशा को सटीक रूप से चित्रित करने का एक प्रयास है। यह कोंकणी ग्राम वासियों के साथ लेखक के अपने पारस्परिक संपर्क पर आधारित है। लेखक ने महसूस किया कि भारतीय गाँवों में जीवन की स्थितियों का एक विस्तृत अध्ययन भारत के आर्थिक उत्थान की दिशा में पहला कदम होगा। पुस्तक में गाँव की भौगोलिक विशेषताओं, इसकी भूमि के विभाजन, भू-राजस्व, पैदावार, कृषि, पशुधन के साथ-साथ गाँव के लोगों, उनके आवास, धर्म, सामाजिक प्रथाओं, शिक्षा, दैनिक दिनचर्या, व्यवसाय, भोजन, पहनावे और आर्थिक स्थितियों पर अध्याय शामिल हैं। |
| dc.format.extent | 113 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | प्रांतीय सहकारी संस्था, बंबई |
| dc.relation.ispartofseries | Rural economic series;3 |
| dc.subject | ग्रामीण भारत, गाँव, कोंकण, गाँव का जीवन, ग्रामीण जीवन, भारतीय गाँव, ग्रामीण समाज, प्रथाएँ, आर्थिक परिस्थितियाँ |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1927 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-004978 |
| dc.format.medium | text |
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