अ ट्रीटस ऑन द प्रिंसिपल्स एंड प्रैक्टिस ऑफ़ क्रिमिनल लॉ
Author: मेन, जॉन डी.
Keywords: भारतीय न्यायालय, आपराधिक क़ानून, नियम और अधिनियम, ब्रिटिश भारत, 1858, विधान, अपराध एवं आरोप
Publisher: जे. हिगिनबॉथम, मद्रास
Description: पुस्तक में सामान्य नियमों और सिद्धांतों के साथ नियम, अधिनियम शामिल हैं, जो आपराधिक कानून की शाखाओं को प्रभावित करते थे। पुस्तक की विषय वस्तु व्याख्यान की एक श्रृंखला से ली गयी है जिसे लेखक ने वर्ष 1858 में दिया था। प्रारंभिक प्रश्नों, व्यक्ति विशेष के विरुद्ध अपराध, सार्वजनिक प्रकृति के अपराध, कार्यपद्धति और व्यवहार से संबंधित विभिन्न उप अध्यायों के साथ इस पुस्तक को चार भागों में बाँटा गया है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | मेन, जॉन डी. |
| dc.coverage.spatial | India |
| dc.date.accessioned | 2018-07-24T08:28:01Z |
| dc.date.available | 2018-07-24T08:28:01Z |
| dc.description | पुस्तक में सामान्य नियमों और सिद्धांतों के साथ नियम, अधिनियम शामिल हैं, जो आपराधिक कानून की शाखाओं को प्रभावित करते थे। पुस्तक की विषय वस्तु व्याख्यान की एक श्रृंखला से ली गयी है जिसे लेखक ने वर्ष 1858 में दिया था। प्रारंभिक प्रश्नों, व्यक्ति विशेष के विरुद्ध अपराध, सार्वजनिक प्रकृति के अपराध, कार्यपद्धति और व्यवहार से संबंधित विभिन्न उप अध्यायों के साथ इस पुस्तक को चार भागों में बाँटा गया है। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | ix, 237 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | जे. हिगिनबॉथम, मद्रास |
| dc.subject | भारतीय न्यायालय, आपराधिक क़ानून, नियम और अधिनियम, ब्रिटिश भारत, 1858, विधान, अपराध एवं आरोप |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1865 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-001055 |
| dc.format.medium | text |
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | मेन, जॉन डी. |
| dc.coverage.spatial | India |
| dc.date.accessioned | 2018-07-24T08:28:01Z |
| dc.date.available | 2018-07-24T08:28:01Z |
| dc.description | पुस्तक में सामान्य नियमों और सिद्धांतों के साथ नियम, अधिनियम शामिल हैं, जो आपराधिक कानून की शाखाओं को प्रभावित करते थे। पुस्तक की विषय वस्तु व्याख्यान की एक श्रृंखला से ली गयी है जिसे लेखक ने वर्ष 1858 में दिया था। प्रारंभिक प्रश्नों, व्यक्ति विशेष के विरुद्ध अपराध, सार्वजनिक प्रकृति के अपराध, कार्यपद्धति और व्यवहार से संबंधित विभिन्न उप अध्यायों के साथ इस पुस्तक को चार भागों में बाँटा गया है। |
| dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
| dc.format.extent | ix, 237 p. |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | जे. हिगिनबॉथम, मद्रास |
| dc.subject | भारतीय न्यायालय, आपराधिक क़ानून, नियम और अधिनियम, ब्रिटिश भारत, 1858, विधान, अपराध एवं आरोप |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1865 |
| dc.identifier.accessionnumber | AS-001055 |
| dc.format.medium | text |
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