ग्रामर ऑफ़ द पंजाबी लैंग्वेज
Author: लीच, लेफ़्टिनेंट आर
Keywords: हिंदी भाषा, पंजाबी भाषा, व्याकरण, आधुनिक भारतीय भाषाएँ, गुरमुखी
Publisher: बॉम्बे सरकार प्रेस, बॉम्बे
Description: लेफ़्टिनेंट आर. लीच द्वारा लिखित, यह पुस्तक पंजाबी भाषा के व्याकरण के शब्दों की एक यथार्थपूर्ण सूची देती है। लेखक का मानना है कि सिख सीमाओं पर, पंजाबी भाषा पड़ोसी बोलियों के साथ कुछ-कुछ मिश्रित हो जाती है। भवलपुर में, यह सिंधी से मिल जाती है। इसलिए पंजाबी भाषा दो लिपियों में लिखी जाती है: गुरमुखी- ग्रंथ (10 गुरुओं के धर्म सिद्धांत) की लिपि, और लांडे- व्यापारियों द्वारा उनके खातों में उपयोग की जाने वाली लिपि। पुस्तक में आगे, संज्ञा, सर्वनाम, सहायक क्रिया, काल, पंजाबी छंद का नमूना, और संक्षिप्त सिख शब्दावली, दी गई है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | लीच, लेफ़्टिनेंट आर |
dc.date.accessioned | 2019-03-01T17:07:26Z |
dc.date.available | 2019-03-01T17:07:26Z |
dc.description | लेफ़्टिनेंट आर. लीच द्वारा लिखित, यह पुस्तक पंजाबी भाषा के व्याकरण के शब्दों की एक यथार्थपूर्ण सूची देती है। लेखक का मानना है कि सिख सीमाओं पर, पंजाबी भाषा पड़ोसी बोलियों के साथ कुछ-कुछ मिश्रित हो जाती है। भवलपुर में, यह सिंधी से मिल जाती है। इसलिए पंजाबी भाषा दो लिपियों में लिखी जाती है: गुरमुखी- ग्रंथ (10 गुरुओं के धर्म सिद्धांत) की लिपि, और लांडे- व्यापारियों द्वारा उनके खातों में उपयोग की जाने वाली लिपि। पुस्तक में आगे, संज्ञा, सर्वनाम, सहायक क्रिया, काल, पंजाबी छंद का नमूना, और संक्षिप्त सिख शब्दावली, दी गई है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | 23 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | बॉम्बे सरकार प्रेस, बॉम्बे |
dc.subject | हिंदी भाषा, पंजाबी भाषा, व्याकरण, आधुनिक भारतीय भाषाएँ, गुरमुखी |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1838 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-001609 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | लीच, लेफ़्टिनेंट आर |
dc.date.accessioned | 2019-03-01T17:07:26Z |
dc.date.available | 2019-03-01T17:07:26Z |
dc.description | लेफ़्टिनेंट आर. लीच द्वारा लिखित, यह पुस्तक पंजाबी भाषा के व्याकरण के शब्दों की एक यथार्थपूर्ण सूची देती है। लेखक का मानना है कि सिख सीमाओं पर, पंजाबी भाषा पड़ोसी बोलियों के साथ कुछ-कुछ मिश्रित हो जाती है। भवलपुर में, यह सिंधी से मिल जाती है। इसलिए पंजाबी भाषा दो लिपियों में लिखी जाती है: गुरमुखी- ग्रंथ (10 गुरुओं के धर्म सिद्धांत) की लिपि, और लांडे- व्यापारियों द्वारा उनके खातों में उपयोग की जाने वाली लिपि। पुस्तक में आगे, संज्ञा, सर्वनाम, सहायक क्रिया, काल, पंजाबी छंद का नमूना, और संक्षिप्त सिख शब्दावली, दी गई है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | 23 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | बॉम्बे सरकार प्रेस, बॉम्बे |
dc.subject | हिंदी भाषा, पंजाबी भाषा, व्याकरण, आधुनिक भारतीय भाषाएँ, गुरमुखी |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1838 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-001609 |
dc.format.medium | text |