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हिल डायलेक्ट्स ऑफ़ द कुमाऊँ डिवीज़न

Keywords: भाषाएँ, कुमाऊँ, गढ़वाल, पहाड़ियाँ, बोलियों की सूची

Publisher: मुंशी सदानंद संशियाल, अल्मोड़ा

Description: ‘हिल डायलेक्ट ऑफ़ कुमाऊँ रीजन’ कुमाऊँ और गढ़वाल पहाड़ी क्षेत्र में बोली जाने वाली विभिन्न बोलियों का संग्रह है। लेखक ने सत्रह विशिष्ट बोलियों में एक साधारण लोक कथा के अनुवाद को प्रस्तुत किया है ताकि उन बोलियों के अंतर की तुलना आसानी से की जा सके। लेखक ने उसी लोक कथा को मानक हिंदी और अंग्रेज़ी में भी दिया है ताकि पाठक को प्रत्येक बोली में लिप्यंतरण के साथ तुलना करने में मदद मिल सके। लोगों की भाषाओं में अंतर के लिए स्थान एवं जाति को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। यह पुस्तक वर्ष 1897 में प्रकाशित हुई थी।

Type: दुर्लभ पुस्तक

Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार


DC Field Value
dc.date.accessioned 2019-02-26T11:36:39Z
dc.date.available 2019-02-26T11:36:39Z
dc.description ‘हिल डायलेक्ट ऑफ़ कुमाऊँ रीजन’ कुमाऊँ और गढ़वाल पहाड़ी क्षेत्र में बोली जाने वाली विभिन्न बोलियों का संग्रह है। लेखक ने सत्रह विशिष्ट बोलियों में एक साधारण लोक कथा के अनुवाद को प्रस्तुत किया है ताकि उन बोलियों के अंतर की तुलना आसानी से की जा सके। लेखक ने उसी लोक कथा को मानक हिंदी और अंग्रेज़ी में भी दिया है ताकि पाठक को प्रत्येक बोली में लिप्यंतरण के साथ तुलना करने में मदद मिल सके। लोगों की भाषाओं में अंतर के लिए स्थान एवं जाति को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। यह पुस्तक वर्ष 1897 में प्रकाशित हुई थी।
dc.format.extent v, 112 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher मुंशी सदानंद संशियाल, अल्मोड़ा
dc.subject भाषाएँ, कुमाऊँ, गढ़वाल, पहाड़ियाँ, बोलियों की सूची
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1900
dc.identifier.accessionnumber AS-001620
dc.format.medium text
DC Field Value
dc.date.accessioned 2019-02-26T11:36:39Z
dc.date.available 2019-02-26T11:36:39Z
dc.description ‘हिल डायलेक्ट ऑफ़ कुमाऊँ रीजन’ कुमाऊँ और गढ़वाल पहाड़ी क्षेत्र में बोली जाने वाली विभिन्न बोलियों का संग्रह है। लेखक ने सत्रह विशिष्ट बोलियों में एक साधारण लोक कथा के अनुवाद को प्रस्तुत किया है ताकि उन बोलियों के अंतर की तुलना आसानी से की जा सके। लेखक ने उसी लोक कथा को मानक हिंदी और अंग्रेज़ी में भी दिया है ताकि पाठक को प्रत्येक बोली में लिप्यंतरण के साथ तुलना करने में मदद मिल सके। लोगों की भाषाओं में अंतर के लिए स्थान एवं जाति को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। यह पुस्तक वर्ष 1897 में प्रकाशित हुई थी।
dc.format.extent v, 112 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher मुंशी सदानंद संशियाल, अल्मोड़ा
dc.subject भाषाएँ, कुमाऊँ, गढ़वाल, पहाड़ियाँ, बोलियों की सूची
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1900
dc.identifier.accessionnumber AS-001620
dc.format.medium text