हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया, वॉल. 7
Author: जैक्सन, ए.वी. विलियम्स
Editor: Jackson, A.V. Williams
Keywords: ब्रिटिश साम्राज्य, बॉम्बे, मद्रास, बंगाल, इतिहास
Publisher: द ग्रोलियर सोसाइटी, लंदन
Description: इस खंड में हिंदुस्तान में वर्चस्व की प्राप्ति के लिए तीन प्रतिद्वंद्वी यूरोपीय शक्तियों - पुर्तगाली, डच और अंग्रेजों - के बीच संघर्ष के आख्यान शामिल हैं। 1600 में ईआईसी (ईस्ट इंडिया कंपनी) द्वारा स्थापित आधार को कंपनी की अलग-अलग यात्राओं द्वारा और भी मजबूती मिली थी, और उन्होंने इतनी ज़ोरदार बढ़ोत्तरी की, कि इसके परिणामस्वरूप इंग्लैंड को पहले पुर्तगालियों और बाद में डच लोगों के साथ संघर्ष करना पड़ा। इसका खास परिणाम यह निकला कि बॉम्बे तट, मद्रास तट और बंगाल तट पर प्रधानतम अंग्रेज़ी वर्चस्व की स्थापना हुई, जिससे हिंदुस्तान की तीन महान संगठित प्रेसिडेंसियों का गठन हुआ, इंग्लैंड के पूर्ण प्रभुत्व की स्थापना हुई, और भारत ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा बन गया।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | जैक्सन, ए.वी. विलियम्स |
dc.contributor.editor | Jackson, A.V. Williams |
dc.date.accessioned | 2017-05-31T08:54:25Z 2018-06-07T03:30:15Z |
dc.date.available | 2017-05-31T08:54:25Z 2018-06-07T03:30:15Z |
dc.description | इस खंड में हिंदुस्तान में वर्चस्व की प्राप्ति के लिए तीन प्रतिद्वंद्वी यूरोपीय शक्तियों - पुर्तगाली, डच और अंग्रेजों - के बीच संघर्ष के आख्यान शामिल हैं। 1600 में ईआईसी (ईस्ट इंडिया कंपनी) द्वारा स्थापित आधार को कंपनी की अलग-अलग यात्राओं द्वारा और भी मजबूती मिली थी, और उन्होंने इतनी ज़ोरदार बढ़ोत्तरी की, कि इसके परिणामस्वरूप इंग्लैंड को पहले पुर्तगालियों और बाद में डच लोगों के साथ संघर्ष करना पड़ा। इसका खास परिणाम यह निकला कि बॉम्बे तट, मद्रास तट और बंगाल तट पर प्रधानतम अंग्रेज़ी वर्चस्व की स्थापना हुई, जिससे हिंदुस्तान की तीन महान संगठित प्रेसिडेंसियों का गठन हुआ, इंग्लैंड के पूर्ण प्रभुत्व की स्थापना हुई, और भारत ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा बन गया। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | xi, 310p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | द ग्रोलियर सोसाइटी, लंदन |
dc.subject | ब्रिटिश साम्राज्य, बॉम्बे, मद्रास, बंगाल, इतिहास |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1907 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-002521 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | जैक्सन, ए.वी. विलियम्स |
dc.contributor.editor | Jackson, A.V. Williams |
dc.date.accessioned | 2017-05-31T08:54:25Z 2018-06-07T03:30:15Z |
dc.date.available | 2017-05-31T08:54:25Z 2018-06-07T03:30:15Z |
dc.description | इस खंड में हिंदुस्तान में वर्चस्व की प्राप्ति के लिए तीन प्रतिद्वंद्वी यूरोपीय शक्तियों - पुर्तगाली, डच और अंग्रेजों - के बीच संघर्ष के आख्यान शामिल हैं। 1600 में ईआईसी (ईस्ट इंडिया कंपनी) द्वारा स्थापित आधार को कंपनी की अलग-अलग यात्राओं द्वारा और भी मजबूती मिली थी, और उन्होंने इतनी ज़ोरदार बढ़ोत्तरी की, कि इसके परिणामस्वरूप इंग्लैंड को पहले पुर्तगालियों और बाद में डच लोगों के साथ संघर्ष करना पड़ा। इसका खास परिणाम यह निकला कि बॉम्बे तट, मद्रास तट और बंगाल तट पर प्रधानतम अंग्रेज़ी वर्चस्व की स्थापना हुई, जिससे हिंदुस्तान की तीन महान संगठित प्रेसिडेंसियों का गठन हुआ, इंग्लैंड के पूर्ण प्रभुत्व की स्थापना हुई, और भारत ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा बन गया। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | xi, 310p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | द ग्रोलियर सोसाइटी, लंदन |
dc.subject | ब्रिटिश साम्राज्य, बॉम्बे, मद्रास, बंगाल, इतिहास |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1907 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-002521 |
dc.format.medium | text |