हिस्ट्री ऑफ़ इंडियन-मेडिसिन कंटेनिंग नोटिसेस, बायोग्राफ़िकल एंड बिब्लियोग्राफ़िकल, ऑफ़ द आयुर्वेदिक फ़िजीशियंस एंड देयर वर्क्स ऑन मेडिसिन फ़्रॉम द अर्लिएस्ट एजेस टू द प्रेज़ेंट टाइम
Author: मुखोपाध्याय भिषगाचार्य, गिरींद्रनाथ
Keywords: चिकित्सा, भारत, आयुर्वेद, भारतीय चिकित्सक, आयुर्वेदिक
Publisher: कलकत्ता विश्वविद्यालय, कलकत्ता
Description: इस पुस्तक को वर्ष 1926 में प्रकाशित किया गया था। इसमें यह आग्रह किया गया है कि चिकित्सा की आयुर्वेदिक पद्धति को पुनः प्रचलन में लाने और विकसित करने का प्रश्न देश के लिये, न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों, मुख्य रूप से पीड़ित लोगों के विशाल समूह की आसान पहुँच के भीतर चिकित्सीय राहत लाने की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | मुखोपाध्याय भिषगाचार्य, गिरींद्रनाथ |
dc.coverage.spatial | India |
dc.date.accessioned | 2018-07-25T07:24:06Z |
dc.date.available | 2018-07-25T07:24:06Z |
dc.description | इस पुस्तक को वर्ष 1926 में प्रकाशित किया गया था। इसमें यह आग्रह किया गया है कि चिकित्सा की आयुर्वेदिक पद्धति को पुनः प्रचलन में लाने और विकसित करने का प्रश्न देश के लिये, न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों, मुख्य रूप से पीड़ित लोगों के विशाल समूह की आसान पहुँच के भीतर चिकित्सीय राहत लाने की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | v. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | हिंदी |
dc.publisher | कलकत्ता विश्वविद्यालय, कलकत्ता |
dc.subject | चिकित्सा, भारत, आयुर्वेद, भारतीय चिकित्सक, आयुर्वेदिक |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1929 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-001833 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | मुखोपाध्याय भिषगाचार्य, गिरींद्रनाथ |
dc.coverage.spatial | India |
dc.date.accessioned | 2018-07-25T07:24:06Z |
dc.date.available | 2018-07-25T07:24:06Z |
dc.description | इस पुस्तक को वर्ष 1926 में प्रकाशित किया गया था। इसमें यह आग्रह किया गया है कि चिकित्सा की आयुर्वेदिक पद्धति को पुनः प्रचलन में लाने और विकसित करने का प्रश्न देश के लिये, न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों, मुख्य रूप से पीड़ित लोगों के विशाल समूह की आसान पहुँच के भीतर चिकित्सीय राहत लाने की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | v. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | हिंदी |
dc.publisher | कलकत्ता विश्वविद्यालय, कलकत्ता |
dc.subject | चिकित्सा, भारत, आयुर्वेद, भारतीय चिकित्सक, आयुर्वेदिक |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1929 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-001833 |
dc.format.medium | text |