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अर्ली बुद्धिस्ट मोनाकिज़्म (600 बी.सी. - 100 बी.सी.)

Author: सुकुमार दत्त

Keywords: बौद्ध मठवाद, विनयपिटक, पातिमोक्ख

Issue Date: 1924

Publisher: लंदन, कीगन पॉल, ट्रेंच, ट्रबनर एंड को.

Description: सुकुमार दत्त के इस काम में उनकी प्राचीन भारत के बौद्ध भिक्षुओं और हिंदू सन्यासियों के इतिहास की व्यापक जांच शामिल है। बौद्ध मठवाद ऐतिहासिक रूप से एक क्रमिक प्रक्रिया का एक अविश्वसनीय परिणाम रहा है, जो इसके समाजशास्त्रीय वातावरण और विकास के अपने आंतरिक सिद्धांत के दबाव में बदलता रहा है। लेखक इस विचार को व्यक्त करता है कि चीनी यात्रा वृतांतों में भारत में बौद्ध मठवासी जीवन, विनयपिटक में प्रतिबिंबित मठवासी जीवन से बहुत अलग है। इस पुस्तक के अध्याय विनयपिटिक के नियमों और उनकी व्याख्या; आदिम परिब्रजका; संघ और पातिमोक्ख; बौद्ध मठ की वृद्धि और बौद्ध संघ की आंतरिक राजनीति, से संबंधित हैं।

Type: तकनीकी रिपोर्ट

Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार


DC Field Value
dc.contributor.author सुकुमार दत्त
dc.date.accessioned 2006-11-15T08:46:40Z
2018-05-31T01:06:26Z
dc.date.available 2006-11-15T08:46:40Z
2018-05-31T01:06:26Z
dc.description सुकुमार दत्त के इस काम में उनकी प्राचीन भारत के बौद्ध भिक्षुओं और हिंदू सन्यासियों के इतिहास की व्यापक जांच शामिल है। बौद्ध मठवाद ऐतिहासिक रूप से एक क्रमिक प्रक्रिया का एक अविश्वसनीय परिणाम रहा है, जो इसके समाजशास्त्रीय वातावरण और विकास के अपने आंतरिक सिद्धांत के दबाव में बदलता रहा है। लेखक इस विचार को व्यक्त करता है कि चीनी यात्रा वृतांतों में भारत में बौद्ध मठवासी जीवन, विनयपिटक में प्रतिबिंबित मठवासी जीवन से बहुत अलग है। इस पुस्तक के अध्याय विनयपिटिक के नियमों और उनकी व्याख्या; आदिम परिब्रजका; संघ और पातिमोक्ख; बौद्ध मठ की वृद्धि और बौद्ध संघ की आंतरिक राजनीति, से संबंधित हैं।
dc.date.issued 1924
dc.description.sponsorship Delhi Superintendent Government of India
dc.format.extent 7899269 bytes1832 bytes
dc.format.mimetype application/pdfapplication/pdftext/plain
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher लंदन, कीगन पॉल, ट्रेंच, ट्रबनर एंड को.
dc.relation.ispartofseries 294.3 DUT-E
dc.subject बौद्ध मठवाद, विनयपिटक, पातिमोक्ख
dc.type तकनीकी रिपोर्ट
DC Field Value
dc.contributor.author सुकुमार दत्त
dc.date.accessioned 2006-11-15T08:46:40Z
2018-05-31T01:06:26Z
dc.date.available 2006-11-15T08:46:40Z
2018-05-31T01:06:26Z
dc.description सुकुमार दत्त के इस काम में उनकी प्राचीन भारत के बौद्ध भिक्षुओं और हिंदू सन्यासियों के इतिहास की व्यापक जांच शामिल है। बौद्ध मठवाद ऐतिहासिक रूप से एक क्रमिक प्रक्रिया का एक अविश्वसनीय परिणाम रहा है, जो इसके समाजशास्त्रीय वातावरण और विकास के अपने आंतरिक सिद्धांत के दबाव में बदलता रहा है। लेखक इस विचार को व्यक्त करता है कि चीनी यात्रा वृतांतों में भारत में बौद्ध मठवासी जीवन, विनयपिटक में प्रतिबिंबित मठवासी जीवन से बहुत अलग है। इस पुस्तक के अध्याय विनयपिटिक के नियमों और उनकी व्याख्या; आदिम परिब्रजका; संघ और पातिमोक्ख; बौद्ध मठ की वृद्धि और बौद्ध संघ की आंतरिक राजनीति, से संबंधित हैं।
dc.date.issued 1924
dc.description.sponsorship Delhi Superintendent Government of India
dc.format.extent 7899269 bytes1832 bytes
dc.format.mimetype application/pdfapplication/pdftext/plain
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher लंदन, कीगन पॉल, ट्रेंच, ट्रबनर एंड को.
dc.relation.ispartofseries 294.3 DUT-E
dc.subject बौद्ध मठवाद, विनयपिटक, पातिमोक्ख
dc.type तकनीकी रिपोर्ट