बुद्धिस्ट सायकॉलॉजी: एन इंक्वायरी इंटु द एनालिसिस एंड थियरी ऑफ़ माइंड इन पाली लिट्रेचर
Author: सी.ए.एफ़. रिह्स डेविड्स
Keywords: मनोविज्ञान, बौद्ध धर्म, निकाय, भारतीय दर्शन, मिलिंद
Issue Date: 1914
Publisher: लंदन, जी. बेल एंड संस
Description: इस पुस्तक में प्रारंभिक बौद्ध धर्म, और साथ-साथ बर्मा, सीलोन और स्याम में फल-फूल रहे इसके प्रत्यक्ष वंशज जिसे थेरवाद या बुजुर्गों का सिद्धांत कहा जाता है, में विश्लेषण और चिंतन के सिद्धांत के बारे में जानकारी दी गई है। पुस्तक पाठकों को "मातृ-सिद्धांत" और उससे उत्तरवर्ती अन्य सिद्धांतों में निहित विचार प्रदान करती है। इसका उद्देश्य भारतीय दर्शन के उन विचारों को सामने लाना है जिन्हें यूरोपीय ज्ञान क्षेत्र में उपेक्षा का सामना करना पड़ा था। अध्यायों में चिंतन की आदतें, निकायों का मनोविज्ञान, अभिधम्म-पिटक में मनोवैज्ञानिक विकास, मिलिंद में मनोविज्ञान और कुछ मध्ययुगीन विकास शामिल हैं।
Type: तकनीकी रिपोर्ट
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | सी.ए.एफ़. रिह्स डेविड्स |
dc.date.accessioned | 2006-11-15T08:25:03Z 2018-05-31T01:03:06Z |
dc.date.available | 2006-11-15T08:25:03Z 2018-05-31T01:03:06Z |
dc.description | इस पुस्तक में प्रारंभिक बौद्ध धर्म, और साथ-साथ बर्मा, सीलोन और स्याम में फल-फूल रहे इसके प्रत्यक्ष वंशज जिसे थेरवाद या बुजुर्गों का सिद्धांत कहा जाता है, में विश्लेषण और चिंतन के सिद्धांत के बारे में जानकारी दी गई है। पुस्तक पाठकों को "मातृ-सिद्धांत" और उससे उत्तरवर्ती अन्य सिद्धांतों में निहित विचार प्रदान करती है। इसका उद्देश्य भारतीय दर्शन के उन विचारों को सामने लाना है जिन्हें यूरोपीय ज्ञान क्षेत्र में उपेक्षा का सामना करना पड़ा था। अध्यायों में चिंतन की आदतें, निकायों का मनोविज्ञान, अभिधम्म-पिटक में मनोवैज्ञानिक विकास, मिलिंद में मनोविज्ञान और कुछ मध्ययुगीन विकास शामिल हैं। |
dc.date.issued | 1914 |
dc.description.sponsorship | Delhi Superintendent Government of India |
dc.format.extent | 7519896 bytes1832 bytes |
dc.format.mimetype | application/pdfapplication/pdftext/plain |
dc.language.iso | English |
dc.publisher | लंदन, जी. बेल एंड संस |
dc.relation.ispartofseries | 150.1 DAV - B |
dc.subject | मनोविज्ञान, बौद्ध धर्म, निकाय, भारतीय दर्शन, मिलिंद |
dc.type | तकनीकी रिपोर्ट |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | सी.ए.एफ़. रिह्स डेविड्स |
dc.date.accessioned | 2006-11-15T08:25:03Z 2018-05-31T01:03:06Z |
dc.date.available | 2006-11-15T08:25:03Z 2018-05-31T01:03:06Z |
dc.description | इस पुस्तक में प्रारंभिक बौद्ध धर्म, और साथ-साथ बर्मा, सीलोन और स्याम में फल-फूल रहे इसके प्रत्यक्ष वंशज जिसे थेरवाद या बुजुर्गों का सिद्धांत कहा जाता है, में विश्लेषण और चिंतन के सिद्धांत के बारे में जानकारी दी गई है। पुस्तक पाठकों को "मातृ-सिद्धांत" और उससे उत्तरवर्ती अन्य सिद्धांतों में निहित विचार प्रदान करती है। इसका उद्देश्य भारतीय दर्शन के उन विचारों को सामने लाना है जिन्हें यूरोपीय ज्ञान क्षेत्र में उपेक्षा का सामना करना पड़ा था। अध्यायों में चिंतन की आदतें, निकायों का मनोविज्ञान, अभिधम्म-पिटक में मनोवैज्ञानिक विकास, मिलिंद में मनोविज्ञान और कुछ मध्ययुगीन विकास शामिल हैं। |
dc.date.issued | 1914 |
dc.description.sponsorship | Delhi Superintendent Government of India |
dc.format.extent | 7519896 bytes1832 bytes |
dc.format.mimetype | application/pdfapplication/pdftext/plain |
dc.language.iso | English |
dc.publisher | लंदन, जी. बेल एंड संस |
dc.relation.ispartofseries | 150.1 DAV - B |
dc.subject | मनोविज्ञान, बौद्ध धर्म, निकाय, भारतीय दर्शन, मिलिंद |
dc.type | तकनीकी रिपोर्ट |