डाइजेस्ट ऑफ़ हिंदू लॉ ऑन कॉन्ट्रैक्ट्स एंड सक्सेशंस; विद अ कमेंटरी बाइ जगन्नाथ तरकपंचानन; ट्रांस्लेटेड फ़्रॉम द ओरिजिनल संस्कृत
Author: तरकपंचानन, जगन्नाथ
Keywords: विधान, हिंदू कानून, ब्रिटिश भारत, पुरुष के कर्तव्य, विधवा, बिक्री विवाद, व्यापार के बारे में कानून
Publisher: ऑनरेबल कंपनी प्रेस, कलकत्ता
Description: यह पुस्तक व्यापार, साझेदारी, तथा साथ ही विवाह एवं उत्तराधिकार के विषय पर हिंदू कानूनों का एक संकलन है। इस पुस्तक में प्रत्येक विषय पर हिंदू कानून के विवरण प्रदान करने वाले उप-अध्यायों से युक्त चार भाग शामिल हैं। इसके पहले से लेकर तीसरे भाग में बिक्री तथा स्वामित्व, साझेदारी के मुद्दों, और मजदूरी और भाड़े (लेकिन केवल इतने तक ही सामित नहीं) के विषय में समझौतों के गैर-प्रदर्शन, से संबंधित कानूनों के बारे में बताया गया है। इस पुस्तक के चौथे भाग में पति तथा पत्नी के कर्तव्यों पर हिंदू कानूनों का वर्णन दिया गया है। इनमें पति के कर्तव्य, महिलाओं के आचरण, तथा विधवा के कर्तव्य, आदि शामिल हैं।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | तरकपंचानन, जगन्नाथ |
dc.date.accessioned | 2019-03-02T15:39:57Z |
dc.date.available | 2019-03-02T15:39:57Z |
dc.description | यह पुस्तक व्यापार, साझेदारी, तथा साथ ही विवाह एवं उत्तराधिकार के विषय पर हिंदू कानूनों का एक संकलन है। इस पुस्तक में प्रत्येक विषय पर हिंदू कानून के विवरण प्रदान करने वाले उप-अध्यायों से युक्त चार भाग शामिल हैं। इसके पहले से लेकर तीसरे भाग में बिक्री तथा स्वामित्व, साझेदारी के मुद्दों, और मजदूरी और भाड़े (लेकिन केवल इतने तक ही सामित नहीं) के विषय में समझौतों के गैर-प्रदर्शन, से संबंधित कानूनों के बारे में बताया गया है। इस पुस्तक के चौथे भाग में पति तथा पत्नी के कर्तव्यों पर हिंदू कानूनों का वर्णन दिया गया है। इनमें पति के कर्तव्य, महिलाओं के आचरण, तथा विधवा के कर्तव्य, आदि शामिल हैं। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | 612 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | ऑनरेबल कंपनी प्रेस, कलकत्ता |
dc.subject | विधान, हिंदू कानून, ब्रिटिश भारत, पुरुष के कर्तव्य, विधवा, बिक्री विवाद, व्यापार के बारे में कानून |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1798 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-001110 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | तरकपंचानन, जगन्नाथ |
dc.date.accessioned | 2019-03-02T15:39:57Z |
dc.date.available | 2019-03-02T15:39:57Z |
dc.description | यह पुस्तक व्यापार, साझेदारी, तथा साथ ही विवाह एवं उत्तराधिकार के विषय पर हिंदू कानूनों का एक संकलन है। इस पुस्तक में प्रत्येक विषय पर हिंदू कानून के विवरण प्रदान करने वाले उप-अध्यायों से युक्त चार भाग शामिल हैं। इसके पहले से लेकर तीसरे भाग में बिक्री तथा स्वामित्व, साझेदारी के मुद्दों, और मजदूरी और भाड़े (लेकिन केवल इतने तक ही सामित नहीं) के विषय में समझौतों के गैर-प्रदर्शन, से संबंधित कानूनों के बारे में बताया गया है। इस पुस्तक के चौथे भाग में पति तथा पत्नी के कर्तव्यों पर हिंदू कानूनों का वर्णन दिया गया है। इनमें पति के कर्तव्य, महिलाओं के आचरण, तथा विधवा के कर्तव्य, आदि शामिल हैं। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | 612 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | ऑनरेबल कंपनी प्रेस, कलकत्ता |
dc.subject | विधान, हिंदू कानून, ब्रिटिश भारत, पुरुष के कर्तव्य, विधवा, बिक्री विवाद, व्यापार के बारे में कानून |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1798 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-001110 |
dc.format.medium | text |