डायलॉग्स ऑन द हिंदू फ़िलॉसफ़ी: कम्प्राईज़िंग द न्याय, द सांख्य, द वेदांत
Author: बैनर्जी, के.एम.
Keywords: हिंदू दर्शन, हिंदू धर्म, न्याय, सांख्य, वेदांत
Publisher: थैकर स्पिंक, कलकत्ता
Description: इस पुस्तक को हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का एक सही और प्रामाणिक विवरण देने के लिए लिखा गया था, और इस कार्य को यह पुस्तक ग्रंथों के मूल विद्वानों का हवाला देकर पूरा करती है। इसका उद्देश्य इन ग्रंथों के बारे में चर्चा करने के उन तरीकों को प्रदान करना था जो, हिंदू दर्शन के विभिन्न संप्रदायों द्वारा दिए गए तर्क प्रदान करके, हिंदू मानस के लिए सबसे प्रभावी हो सकते हैं।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | बैनर्जी, के.एम. |
dc.date.accessioned | 2017-05-30T05:46:34Z 2018-06-07T05:43:43Z |
dc.date.available | 2017-05-30T05:46:34Z 2018-06-07T05:43:43Z |
dc.description | इस पुस्तक को हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का एक सही और प्रामाणिक विवरण देने के लिए लिखा गया था, और इस कार्य को यह पुस्तक ग्रंथों के मूल विद्वानों का हवाला देकर पूरा करती है। इसका उद्देश्य इन ग्रंथों के बारे में चर्चा करने के उन तरीकों को प्रदान करना था जो, हिंदू दर्शन के विभिन्न संप्रदायों द्वारा दिए गए तर्क प्रदान करके, हिंदू मानस के लिए सबसे प्रभावी हो सकते हैं। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | xxiii, 538p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | हिंदी |
dc.publisher | थैकर स्पिंक, कलकत्ता |
dc.subject | हिंदू दर्शन, हिंदू धर्म, न्याय, सांख्य, वेदांत |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1861 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-000140 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | बैनर्जी, के.एम. |
dc.date.accessioned | 2017-05-30T05:46:34Z 2018-06-07T05:43:43Z |
dc.date.available | 2017-05-30T05:46:34Z 2018-06-07T05:43:43Z |
dc.description | इस पुस्तक को हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का एक सही और प्रामाणिक विवरण देने के लिए लिखा गया था, और इस कार्य को यह पुस्तक ग्रंथों के मूल विद्वानों का हवाला देकर पूरा करती है। इसका उद्देश्य इन ग्रंथों के बारे में चर्चा करने के उन तरीकों को प्रदान करना था जो, हिंदू दर्शन के विभिन्न संप्रदायों द्वारा दिए गए तर्क प्रदान करके, हिंदू मानस के लिए सबसे प्रभावी हो सकते हैं। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | xxiii, 538p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | हिंदी |
dc.publisher | थैकर स्पिंक, कलकत्ता |
dc.subject | हिंदू दर्शन, हिंदू धर्म, न्याय, सांख्य, वेदांत |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1861 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-000140 |
dc.format.medium | text |