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डे बाइ डे एट लखनऊ अ जर्नल ऑफ़ द सीज ऑफ़ लखनऊ

Author: एस. केस

Keywords: 1857 का विद्रोह, इंडियन म्युटिनी (भारतीय सैन्य विद्रोह), सेपॉय म्युटिनी (सिपाही विद्रोह), लखनऊ की घेराबंदी, 1857, लखनऊ, रेजीडेंसी, ब्रिटिश रेजीडेंसी, लखनऊ रेजीडेंसी, डायरी, ब्रिटिश सैनिक, भारतीय साम्राज्य, ब्रिटिश साम्राज्य

Publisher: रिचर्ड बेंटले, लंदन

Description: यह डायरी 1857 के विद्रोह के दौरान ब्रिटिश सेनाओं द्वारा लखनऊ की घेराबंदी के बारे में दैनंदिन वृत्तांत देती है, जिसे वैकल्पिक रूप से इंडियन म्युटिनी (भारतीय सैन्य विद्रोह) या सेपॉय म्युटिनी (सिपाही विद्रोह) के रूप में भी जाना जाता है। लखनऊ की घेराबंदी का तात्पर्य लखनऊ शहर में रेजिडेंसी या ब्रिटिश सरकार के मुख्यालय पर हमले और उसके बचाव से है। यह छह महीने तक चला था। अंग्रेजों ने ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों के साथ-साथ लखनऊ रेजीडेंसी में फंसे नागरिकों को बचाने के लिए दो प्रयास किए थे। नागरिकों को बाहर निकाला गया और बाद में लखनऊ रेजीडेंसी को खाली छोड़ दिया गया था। यह डायरी 21 मई, 1857 से शुरू होती है, और उसी वर्ष के 14 दिसंबर तक जारी रहती है।

Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार

Type: दुर्लभ पुस्तक

Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार


DC Field Value
dc.contributor.author एस. केस
dc.date.accessioned 2018-07-31T10:30:16Z
dc.date.available 2018-07-31T10:30:16Z
dc.description यह डायरी 1857 के विद्रोह के दौरान ब्रिटिश सेनाओं द्वारा लखनऊ की घेराबंदी के बारे में दैनंदिन वृत्तांत देती है, जिसे वैकल्पिक रूप से इंडियन म्युटिनी (भारतीय सैन्य विद्रोह) या सेपॉय म्युटिनी (सिपाही विद्रोह) के रूप में भी जाना जाता है। लखनऊ की घेराबंदी का तात्पर्य लखनऊ शहर में रेजिडेंसी या ब्रिटिश सरकार के मुख्यालय पर हमले और उसके बचाव से है। यह छह महीने तक चला था। अंग्रेजों ने ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों के साथ-साथ लखनऊ रेजीडेंसी में फंसे नागरिकों को बचाने के लिए दो प्रयास किए थे। नागरिकों को बाहर निकाला गया और बाद में लखनऊ रेजीडेंसी को खाली छोड़ दिया गया था। यह डायरी 21 मई, 1857 से शुरू होती है, और उसी वर्ष के 14 दिसंबर तक जारी रहती है।
dc.source केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
dc.format.extent 348 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher रिचर्ड बेंटले, लंदन
dc.subject 1857 का विद्रोह, इंडियन म्युटिनी (भारतीय सैन्य विद्रोह), सेपॉय म्युटिनी (सिपाही विद्रोह), लखनऊ की घेराबंदी, 1857, लखनऊ, रेजीडेंसी, ब्रिटिश रेजीडेंसी, लखनऊ रेजीडेंसी, डायरी, ब्रिटिश सैनिक, भारतीय साम्राज्य, ब्रिटिश साम्राज्य
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1858
dc.identifier.accessionnumber AS-004411
dc.format.medium text
DC Field Value
dc.contributor.author एस. केस
dc.date.accessioned 2018-07-31T10:30:16Z
dc.date.available 2018-07-31T10:30:16Z
dc.description यह डायरी 1857 के विद्रोह के दौरान ब्रिटिश सेनाओं द्वारा लखनऊ की घेराबंदी के बारे में दैनंदिन वृत्तांत देती है, जिसे वैकल्पिक रूप से इंडियन म्युटिनी (भारतीय सैन्य विद्रोह) या सेपॉय म्युटिनी (सिपाही विद्रोह) के रूप में भी जाना जाता है। लखनऊ की घेराबंदी का तात्पर्य लखनऊ शहर में रेजिडेंसी या ब्रिटिश सरकार के मुख्यालय पर हमले और उसके बचाव से है। यह छह महीने तक चला था। अंग्रेजों ने ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों के साथ-साथ लखनऊ रेजीडेंसी में फंसे नागरिकों को बचाने के लिए दो प्रयास किए थे। नागरिकों को बाहर निकाला गया और बाद में लखनऊ रेजीडेंसी को खाली छोड़ दिया गया था। यह डायरी 21 मई, 1857 से शुरू होती है, और उसी वर्ष के 14 दिसंबर तक जारी रहती है।
dc.source केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
dc.format.extent 348 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher रिचर्ड बेंटले, लंदन
dc.subject 1857 का विद्रोह, इंडियन म्युटिनी (भारतीय सैन्य विद्रोह), सेपॉय म्युटिनी (सिपाही विद्रोह), लखनऊ की घेराबंदी, 1857, लखनऊ, रेजीडेंसी, ब्रिटिश रेजीडेंसी, लखनऊ रेजीडेंसी, डायरी, ब्रिटिश सैनिक, भारतीय साम्राज्य, ब्रिटिश साम्राज्य
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1858
dc.identifier.accessionnumber AS-004411
dc.format.medium text