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अ ग्रामर ऑफ़ द तेलुगू लैंग्वेज, कॉमनली टर्मंड द जेंटू, पेक्युलियर टू द हिंदूज़ इंहैबीटिंग द नॉर्थ ईस्टर्न प्रॉविंसेस ऑफ़ द इंडियन पेनिनसुला

Author: कैंपबेल, ए.डी.

Keywords: व्याकरण, तेलुगू भाषा, दक्षिण भारत, हिंदू

Publisher: फ़ोर्ट सेंट. जॉर्ज कॉलेज, मद्रास

Description: पुस्तक के लेखक एलेगजेंडर डंकन कैंपबेल को तेलुगू छात्रों द्वारा तेलुगू भाषा के तत्वों पर काम करते वक़्त सामने आईं असुविधाओं का निरीक्षण करने का अवसर मिला था। यह पुस्तक तेलुगू को बचाने के लिए लिखी गई थी, जिसे इसकी कठिनाई के कारण उपेक्षित किया जा रहा था, तथा इसने दक्षिण भारत में ब्रिटिश सरकार के तहत मूल निवासियों की एक बड़ी आबादी द्वारा बोली जाने वाली इस भाषा के महत्व को फैलाने का काम भी किया। यह तेलुगू भाषा के व्याकरण के बारे में भी जानकारी प्रदान करती है।

Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार

Type: दुर्लभ पुस्तक

Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार


DC Field Value
dc.contributor.author कैंपबेल, ए.डी.
dc.coverage.spatial India
dc.date.accessioned 2018-07-26T07:37:56Z
dc.date.available 2018-07-26T07:37:56Z
dc.description पुस्तक के लेखक एलेगजेंडर डंकन कैंपबेल को तेलुगू छात्रों द्वारा तेलुगू भाषा के तत्वों पर काम करते वक़्त सामने आईं असुविधाओं का निरीक्षण करने का अवसर मिला था। यह पुस्तक तेलुगू को बचाने के लिए लिखी गई थी, जिसे इसकी कठिनाई के कारण उपेक्षित किया जा रहा था, तथा इसने दक्षिण भारत में ब्रिटिश सरकार के तहत मूल निवासियों की एक बड़ी आबादी द्वारा बोली जाने वाली इस भाषा के महत्व को फैलाने का काम भी किया। यह तेलुगू भाषा के व्याकरण के बारे में भी जानकारी प्रदान करती है।
dc.source केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
dc.format.extent xxi, 202 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher फ़ोर्ट सेंट. जॉर्ज कॉलेज, मद्रास
dc.subject व्याकरण, तेलुगू भाषा, दक्षिण भारत, हिंदू
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1820
dc.identifier.accessionnumber AS-001653
dc.format.medium text
DC Field Value
dc.contributor.author कैंपबेल, ए.डी.
dc.coverage.spatial India
dc.date.accessioned 2018-07-26T07:37:56Z
dc.date.available 2018-07-26T07:37:56Z
dc.description पुस्तक के लेखक एलेगजेंडर डंकन कैंपबेल को तेलुगू छात्रों द्वारा तेलुगू भाषा के तत्वों पर काम करते वक़्त सामने आईं असुविधाओं का निरीक्षण करने का अवसर मिला था। यह पुस्तक तेलुगू को बचाने के लिए लिखी गई थी, जिसे इसकी कठिनाई के कारण उपेक्षित किया जा रहा था, तथा इसने दक्षिण भारत में ब्रिटिश सरकार के तहत मूल निवासियों की एक बड़ी आबादी द्वारा बोली जाने वाली इस भाषा के महत्व को फैलाने का काम भी किया। यह तेलुगू भाषा के व्याकरण के बारे में भी जानकारी प्रदान करती है।
dc.source केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
dc.format.extent xxi, 202 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher फ़ोर्ट सेंट. जॉर्ज कॉलेज, मद्रास
dc.subject व्याकरण, तेलुगू भाषा, दक्षिण भारत, हिंदू
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1820
dc.identifier.accessionnumber AS-001653
dc.format.medium text