हिंदुस्तान अंडर फ़्री लांसेस 1770-1820: स्कैचेस ऑफ़ मिलिट्री एडवेंचर इन हिंदुस्तान ड्यूरिंग द पीरियड इमीडीएटली प्रीसीडिंग ब्रिटिश ऑक्यूपेशन
Author: कीन, एच.जी.
Keywords: उपनिवेशवाद, औपनिवेशिक, ब्रिटेन, भारत
Publisher: ब्राउन, लैंग्हम, लंदन
Description: यह कार्य अंग्रेजों द्वारा, भारत को उपनिवेशित भूमि बनाने हेतु, आक्रमण करने से ठीक पहले की अवधि की परिचर्चा करता है और इस विशाल कार्य को करने में अंग्रेज़ी सेना के लोगों द्वारा निभाई गई भूमिका पर प्रकाश डालता है। पुस्तक अनिवार्य रूप से ब्रिटिश साम्राज्य का गुणगान करती है, और उसे एक 'क्षयमान' राष्ट्र के 'उद्धारकर्ता' के रूप में दर्शाती है। इसमें यह परिचर्चा भी की गई है कि कैसे ब्रिटिश सेना को फ़्रांसीसी, डच और पुर्तगालियों जैसे अन्य औपनिवेशिक प्रतियोगियों को हराना पड़ा था।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | कीन, एच.जी. |
dc.date.accessioned | 2017-05-15T10:15:10Z 2018-06-07T03:19:48Z |
dc.date.available | 2017-05-15T10:15:10Z 2018-06-07T03:19:48Z |
dc.description | यह कार्य अंग्रेजों द्वारा, भारत को उपनिवेशित भूमि बनाने हेतु, आक्रमण करने से ठीक पहले की अवधि की परिचर्चा करता है और इस विशाल कार्य को करने में अंग्रेज़ी सेना के लोगों द्वारा निभाई गई भूमिका पर प्रकाश डालता है। पुस्तक अनिवार्य रूप से ब्रिटिश साम्राज्य का गुणगान करती है, और उसे एक 'क्षयमान' राष्ट्र के 'उद्धारकर्ता' के रूप में दर्शाती है। इसमें यह परिचर्चा भी की गई है कि कैसे ब्रिटिश सेना को फ़्रांसीसी, डच और पुर्तगालियों जैसे अन्य औपनिवेशिक प्रतियोगियों को हराना पड़ा था। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | xxx, 238p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | ब्राउन, लैंग्हम, लंदन |
dc.subject | उपनिवेशवाद, औपनिवेशिक, ब्रिटेन, भारत |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1907 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-003163 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | कीन, एच.जी. |
dc.date.accessioned | 2017-05-15T10:15:10Z 2018-06-07T03:19:48Z |
dc.date.available | 2017-05-15T10:15:10Z 2018-06-07T03:19:48Z |
dc.description | यह कार्य अंग्रेजों द्वारा, भारत को उपनिवेशित भूमि बनाने हेतु, आक्रमण करने से ठीक पहले की अवधि की परिचर्चा करता है और इस विशाल कार्य को करने में अंग्रेज़ी सेना के लोगों द्वारा निभाई गई भूमिका पर प्रकाश डालता है। पुस्तक अनिवार्य रूप से ब्रिटिश साम्राज्य का गुणगान करती है, और उसे एक 'क्षयमान' राष्ट्र के 'उद्धारकर्ता' के रूप में दर्शाती है। इसमें यह परिचर्चा भी की गई है कि कैसे ब्रिटिश सेना को फ़्रांसीसी, डच और पुर्तगालियों जैसे अन्य औपनिवेशिक प्रतियोगियों को हराना पड़ा था। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | xxx, 238p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | ब्राउन, लैंग्हम, लंदन |
dc.subject | उपनिवेशवाद, औपनिवेशिक, ब्रिटेन, भारत |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1907 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-003163 |
dc.format.medium | text |