हिंदू रिअलिज़्म: बीइंग एन इंट्रोडक्शन टू द मेटाफ़िज़िक्स ऑफ़ द न्याय-वैशेषिक सिस्टम ऑफ़ फ़िलॉसफ़ी
Author: जगदीश चंद्र चटर्जी
Keywords: हिंदू धर्म, हिंदू, दर्शन, न्याय, वैशेषिक
Issue Date: 1912
Publisher: इलाहाबाद, द इंडियन प्रेस
Description: यह कृति हिंदू दर्शन की छह पद्धतियों में से एक, न्याय-वैशेषिक, के प्राचीन भारतीय दर्शन का अध्ययन करती है। प्रारंभ में एक स्वतंत्र दर्शन, वैशेषिक, का बाद में न्याय विचारधारा में विलय हो गया। ज्ञान प्राप्त करने के लिए धारणा और अनुमान वैशेषिक के दो प्रमुख ज्ञानमीमांसीय आधार हैं। यह पद्धति प्रकृतिवाद में अपनी अंतर्दृष्टि के लिए जानी जाती है। यह विशेष कृति इस दर्शन में निहित यथार्थवाद का अध्ययन करती है।
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | जगदीश चंद्र चटर्जी |
dc.date.accessioned | 2006-11-15T08:27:51Z 2018-05-31T01:04:11Z |
dc.date.available | 2006-11-15T08:27:51Z 2018-05-31T01:04:11Z |
dc.description | यह कृति हिंदू दर्शन की छह पद्धतियों में से एक, न्याय-वैशेषिक, के प्राचीन भारतीय दर्शन का अध्ययन करती है। प्रारंभ में एक स्वतंत्र दर्शन, वैशेषिक, का बाद में न्याय विचारधारा में विलय हो गया। ज्ञान प्राप्त करने के लिए धारणा और अनुमान वैशेषिक के दो प्रमुख ज्ञानमीमांसीय आधार हैं। यह पद्धति प्रकृतिवाद में अपनी अंतर्दृष्टि के लिए जानी जाती है। यह विशेष कृति इस दर्शन में निहित यथार्थवाद का अध्ययन करती है। |
dc.date.issued | 1912 |
dc.description.sponsorship | Delhi Superintendent Government of India |
dc.format.extent | 7186452 bytes1832 bytes |
dc.format.mimetype | application/pdfapplication/pdftext/plain |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | इलाहाबाद, द इंडियन प्रेस |
dc.relation.ispartofseries | 181.43 CHA-H |
dc.subject | हिंदू धर्म, हिंदू, दर्शन, न्याय, वैशेषिक |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | जगदीश चंद्र चटर्जी |
dc.date.accessioned | 2006-11-15T08:27:51Z 2018-05-31T01:04:11Z |
dc.date.available | 2006-11-15T08:27:51Z 2018-05-31T01:04:11Z |
dc.description | यह कृति हिंदू दर्शन की छह पद्धतियों में से एक, न्याय-वैशेषिक, के प्राचीन भारतीय दर्शन का अध्ययन करती है। प्रारंभ में एक स्वतंत्र दर्शन, वैशेषिक, का बाद में न्याय विचारधारा में विलय हो गया। ज्ञान प्राप्त करने के लिए धारणा और अनुमान वैशेषिक के दो प्रमुख ज्ञानमीमांसीय आधार हैं। यह पद्धति प्रकृतिवाद में अपनी अंतर्दृष्टि के लिए जानी जाती है। यह विशेष कृति इस दर्शन में निहित यथार्थवाद का अध्ययन करती है। |
dc.date.issued | 1912 |
dc.description.sponsorship | Delhi Superintendent Government of India |
dc.format.extent | 7186452 bytes1832 bytes |
dc.format.mimetype | application/pdfapplication/pdftext/plain |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | इलाहाबाद, द इंडियन प्रेस |
dc.relation.ispartofseries | 181.43 CHA-H |
dc.subject | हिंदू धर्म, हिंदू, दर्शन, न्याय, वैशेषिक |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |