हिस्ट्री ऑफ़ द बंगाली लैंग्वेज
Author: मजूमदार, बिजयचंद्र
Keywords: बंगाली भाषा, बंगाली साहित्य, इतिहास, आर्य, द्रविड़, प्राकृत
Publisher: कलकत्ता विश्वविद्यालय, कलकत्ता
Description: बिजयचंद्र मजूमदार द्वारा लिखित, यह पुस्तक बंगाली भाषा का विस्तृत इतिहास प्रस्तुत करती है। यह सर जी ग्रियर्सन के स्थानीय आर्य भाषाओं की उत्पत्ति के सिद्धांत के कठोर खंडन के साथ आरंभ होती है, और लेखक ने इन भाषाओं के वैदिक भाषा से उनके विचलन के तर्क को बनाए रखा है। लेखक के विचार से इस विचलन का कारण गैर-आर्य भाषाओं, मुख्य रूप से द्रविड़ भाषाओं, का प्रभाव रहा है। उदहारण के लिए, पूर्वी मगधी प्राकृत से उद्धृत बंगाली, उड़िया, और असमिया भाषाएँ, जिनमें से प्रथम दो भाषाएँ द्रविड़ भाषा द्वारा गौण रूप से प्रभावित हुईं हैं।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | मजूमदार, बिजयचंद्र |
dc.date.accessioned | 2018-07-25T10:53:41Z |
dc.date.available | 2018-07-25T10:53:41Z |
dc.description | बिजयचंद्र मजूमदार द्वारा लिखित, यह पुस्तक बंगाली भाषा का विस्तृत इतिहास प्रस्तुत करती है। यह सर जी ग्रियर्सन के स्थानीय आर्य भाषाओं की उत्पत्ति के सिद्धांत के कठोर खंडन के साथ आरंभ होती है, और लेखक ने इन भाषाओं के वैदिक भाषा से उनके विचलन के तर्क को बनाए रखा है। लेखक के विचार से इस विचलन का कारण गैर-आर्य भाषाओं, मुख्य रूप से द्रविड़ भाषाओं, का प्रभाव रहा है। उदहारण के लिए, पूर्वी मगधी प्राकृत से उद्धृत बंगाली, उड़िया, और असमिया भाषाएँ, जिनमें से प्रथम दो भाषाएँ द्रविड़ भाषा द्वारा गौण रूप से प्रभावित हुईं हैं। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | xix, 323 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | कलकत्ता विश्वविद्यालय, कलकत्ता |
dc.subject | बंगाली भाषा, बंगाली साहित्य, इतिहास, आर्य, द्रविड़, प्राकृत |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.identifier.accessionnumber | AS-011500 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | मजूमदार, बिजयचंद्र |
dc.date.accessioned | 2018-07-25T10:53:41Z |
dc.date.available | 2018-07-25T10:53:41Z |
dc.description | बिजयचंद्र मजूमदार द्वारा लिखित, यह पुस्तक बंगाली भाषा का विस्तृत इतिहास प्रस्तुत करती है। यह सर जी ग्रियर्सन के स्थानीय आर्य भाषाओं की उत्पत्ति के सिद्धांत के कठोर खंडन के साथ आरंभ होती है, और लेखक ने इन भाषाओं के वैदिक भाषा से उनके विचलन के तर्क को बनाए रखा है। लेखक के विचार से इस विचलन का कारण गैर-आर्य भाषाओं, मुख्य रूप से द्रविड़ भाषाओं, का प्रभाव रहा है। उदहारण के लिए, पूर्वी मगधी प्राकृत से उद्धृत बंगाली, उड़िया, और असमिया भाषाएँ, जिनमें से प्रथम दो भाषाएँ द्रविड़ भाषा द्वारा गौण रूप से प्रभावित हुईं हैं। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | xix, 323 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | कलकत्ता विश्वविद्यालय, कलकत्ता |
dc.subject | बंगाली भाषा, बंगाली साहित्य, इतिहास, आर्य, द्रविड़, प्राकृत |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.identifier.accessionnumber | AS-011500 |
dc.format.medium | text |