अ हिस्ट्री ऑफ़ हिंदू केमिस्ट्री फ़्रॉम द अर्लिएस्ट टाइम्स टू द मिडल ऑफ़ द 16थ सेंचुरी ए.डी.
Author: रे, प्रफुल्ल चंद्र
Keywords: रसायनशास्त्र, रसायन, चरक, सुश्रुत, आयुर्वेद
Publisher: द बंगाल केमिकल एंड फ़ार्मास्युटिकल वर्क्स, कलकत्ता
Description: प्रफुल्ल चंद्र रे द्वारा लिखी गई यह पुस्तक प्राचीन काल में रसायन विज्ञान के इतिहास के बारे में बात करती है, जिसके बारे में ऐसा मानते हैं कि इस विषय की जटिलता और तकनीकी प्रकृति के कारण आज तक इसे अनदेखा किया गया है। लेखक को प्राचीन राष्ट्रों के बीच रासायनिक ज्ञान की प्रगति के बारे लगाव-सा था, जिसके कारण उन्होंने इस पुस्तक को लिखने का कार्य किया। इस पुस्तक के दो संस्करण हैं। पहला संस्करण आयुर्वेद में चरक और सुश्रुत के कार्य से संबंधित है। पुस्तक की महान स्वीकृति के कारण, लेखक ने आरंभिक भाग में कुछ संशोधनों के साथ दूसरा संस्करण प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने हिंदू दवाओं पर अधिक प्रकाश डाला।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | रे, प्रफुल्ल चंद्र |
dc.coverage.spatial | India |
dc.date.accessioned | 2018-07-24T10:15:37Z |
dc.date.available | 2018-07-24T10:15:37Z |
dc.description | प्रफुल्ल चंद्र रे द्वारा लिखी गई यह पुस्तक प्राचीन काल में रसायन विज्ञान के इतिहास के बारे में बात करती है, जिसके बारे में ऐसा मानते हैं कि इस विषय की जटिलता और तकनीकी प्रकृति के कारण आज तक इसे अनदेखा किया गया है। लेखक को प्राचीन राष्ट्रों के बीच रासायनिक ज्ञान की प्रगति के बारे लगाव-सा था, जिसके कारण उन्होंने इस पुस्तक को लिखने का कार्य किया। इस पुस्तक के दो संस्करण हैं। पहला संस्करण आयुर्वेद में चरक और सुश्रुत के कार्य से संबंधित है। पुस्तक की महान स्वीकृति के कारण, लेखक ने आरंभिक भाग में कुछ संशोधनों के साथ दूसरा संस्करण प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने हिंदू दवाओं पर अधिक प्रकाश डाला। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | v.i; 312p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | द बंगाल केमिकल एंड फ़ार्मास्युटिकल वर्क्स, कलकत्ता |
dc.subject | रसायनशास्त्र, रसायन, चरक, सुश्रुत, आयुर्वेद |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1903 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-001715 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | रे, प्रफुल्ल चंद्र |
dc.coverage.spatial | India |
dc.date.accessioned | 2018-07-24T10:15:37Z |
dc.date.available | 2018-07-24T10:15:37Z |
dc.description | प्रफुल्ल चंद्र रे द्वारा लिखी गई यह पुस्तक प्राचीन काल में रसायन विज्ञान के इतिहास के बारे में बात करती है, जिसके बारे में ऐसा मानते हैं कि इस विषय की जटिलता और तकनीकी प्रकृति के कारण आज तक इसे अनदेखा किया गया है। लेखक को प्राचीन राष्ट्रों के बीच रासायनिक ज्ञान की प्रगति के बारे लगाव-सा था, जिसके कारण उन्होंने इस पुस्तक को लिखने का कार्य किया। इस पुस्तक के दो संस्करण हैं। पहला संस्करण आयुर्वेद में चरक और सुश्रुत के कार्य से संबंधित है। पुस्तक की महान स्वीकृति के कारण, लेखक ने आरंभिक भाग में कुछ संशोधनों के साथ दूसरा संस्करण प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने हिंदू दवाओं पर अधिक प्रकाश डाला। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | v.i; 312p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | द बंगाल केमिकल एंड फ़ार्मास्युटिकल वर्क्स, कलकत्ता |
dc.subject | रसायनशास्त्र, रसायन, चरक, सुश्रुत, आयुर्वेद |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1903 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-001715 |
dc.format.medium | text |