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अ हिस्ट्री ऑफ़ प्री-बुद्धिस्टिक इंडियन फ़िलॉसफ़ी

Author: बरुआ बेनीमाधब

Keywords: पूर्व-बौद्ध, भारतीय दर्शन, प्राचीन भारत, वैदिक, उत्तर वैदिक, महावीर, बुद्ध, विचारक, बेनीमाधब बरुआ

Publisher: कलकत्ता विश्वविद्यालय

Description: बेनीमाधब बरुआ द्वारा लिखित, यह पुस्तक चिंतन की प्राचीन भारतीय प्रणालियों और वैज्ञानिक परिकल्पनाओं का अध्ययन करती है जो अंततः बौद्ध धर्म, जैन धर्म जैसे अन्य दर्शनशास्त्रों के गठन का कारण बनीं। इसे चार खंडों में विभाजित किया गया है। पहले दो खंड वैदिक और उत्तर-वैदिक दर्शन पर दृष्टि डालते हैं जो मुख्य रूप से अघमर्षण (भारत के पहले दार्शनिक के रूप में माने जाने वाले), शांडिल्य आदि जैसे विचारकों पर केंद्रित है। तीसरे और चौथे खंड क्रमशः महावीर और बुद्ध से पूर्व के दर्शन और महावीर के दर्शन के बारे में बताते हैं।

Source: इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली

Type: दुर्लभ पुस्तक

Received From: इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र


DC Field Value
dc.contributor.author बरुआ बेनीमाधब
dc.date.accessioned 2019-12-03T10:53:12Z
dc.date.available 2019-12-03T10:53:12Z
dc.description बेनीमाधब बरुआ द्वारा लिखित, यह पुस्तक चिंतन की प्राचीन भारतीय प्रणालियों और वैज्ञानिक परिकल्पनाओं का अध्ययन करती है जो अंततः बौद्ध धर्म, जैन धर्म जैसे अन्य दर्शनशास्त्रों के गठन का कारण बनीं। इसे चार खंडों में विभाजित किया गया है। पहले दो खंड वैदिक और उत्तर-वैदिक दर्शन पर दृष्टि डालते हैं जो मुख्य रूप से अघमर्षण (भारत के पहले दार्शनिक के रूप में माने जाने वाले), शांडिल्य आदि जैसे विचारकों पर केंद्रित है। तीसरे और चौथे खंड क्रमशः महावीर और बुद्ध से पूर्व के दर्शन और महावीर के दर्शन के बारे में बताते हैं।
dc.source इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली
dc.format.extent 444 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher कलकत्ता विश्वविद्यालय
dc.subject पूर्व-बौद्ध, भारतीय दर्शन, प्राचीन भारत, वैदिक, उत्तर वैदिक, महावीर, बुद्ध, विचारक, बेनीमाधब बरुआ
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1921
dc.identifier.accessionnumber s1374
dc.format.medium text
DC Field Value
dc.contributor.author बरुआ बेनीमाधब
dc.date.accessioned 2019-12-03T10:53:12Z
dc.date.available 2019-12-03T10:53:12Z
dc.description बेनीमाधब बरुआ द्वारा लिखित, यह पुस्तक चिंतन की प्राचीन भारतीय प्रणालियों और वैज्ञानिक परिकल्पनाओं का अध्ययन करती है जो अंततः बौद्ध धर्म, जैन धर्म जैसे अन्य दर्शनशास्त्रों के गठन का कारण बनीं। इसे चार खंडों में विभाजित किया गया है। पहले दो खंड वैदिक और उत्तर-वैदिक दर्शन पर दृष्टि डालते हैं जो मुख्य रूप से अघमर्षण (भारत के पहले दार्शनिक के रूप में माने जाने वाले), शांडिल्य आदि जैसे विचारकों पर केंद्रित है। तीसरे और चौथे खंड क्रमशः महावीर और बुद्ध से पूर्व के दर्शन और महावीर के दर्शन के बारे में बताते हैं।
dc.source इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली
dc.format.extent 444 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher कलकत्ता विश्वविद्यालय
dc.subject पूर्व-बौद्ध, भारतीय दर्शन, प्राचीन भारत, वैदिक, उत्तर वैदिक, महावीर, बुद्ध, विचारक, बेनीमाधब बरुआ
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1921
dc.identifier.accessionnumber s1374
dc.format.medium text