इलस्ट्रेशंस ऑफ़ द हिस्ट्री एंड प्रैक्टिसिज़ ऑफ़ द ठग्स एंड नोटिसिज़ ऑफ़ सम ऑफ़ द प्रोसीडिंग्स ऑफ़ द गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया फ़ॉर द सप्रेशन ऑफ़ द क्राइम ऑफ़ ठगी
Keywords: ठग, इतिहास, प्रथाएँ, हत्यारे, कातिल, लुटेरे, डाकू
Publisher: डब्ल्यू.एच. एलन, लंदन
Description: यह पुस्तक उन ठगों के वर्ग के इतिहास और प्रथाओं की व्याख्या करती है जो कुख्यात हत्यारे हुआ करते थे। लेखक का उद्देश्य जानकारी प्रदान करना था और जितना हो सके समाज की इस अजीब स्थिति की एक ज्वलंत तस्वीर प्रस्तुत करना था। लेखक ने कई उदाहरणों में, बजाए अपना वृत्तांत देने के, ठग बिरादरी के सदस्यों की स्वीकारोक्तियों या बयानों को उनकी ही भाषा में प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक पाठकों को इन हत्यारों के चरित्रों और भावनाओं के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, क्योंकि इसमें उनके द्वारा दिए गए प्रत्यक्ष वृत्तांत शामिल हैं।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.coverage.spatial | India |
dc.date.accessioned | 2018-07-26T05:10:27Z |
dc.date.available | 2018-07-26T05:10:27Z |
dc.description | यह पुस्तक उन ठगों के वर्ग के इतिहास और प्रथाओं की व्याख्या करती है जो कुख्यात हत्यारे हुआ करते थे। लेखक का उद्देश्य जानकारी प्रदान करना था और जितना हो सके समाज की इस अजीब स्थिति की एक ज्वलंत तस्वीर प्रस्तुत करना था। लेखक ने कई उदाहरणों में, बजाए अपना वृत्तांत देने के, ठग बिरादरी के सदस्यों की स्वीकारोक्तियों या बयानों को उनकी ही भाषा में प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक पाठकों को इन हत्यारों के चरित्रों और भावनाओं के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, क्योंकि इसमें उनके द्वारा दिए गए प्रत्यक्ष वृत्तांत शामिल हैं। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | 474 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | डब्ल्यू.एच. एलन, लंदन |
dc.subject | ठग, इतिहास, प्रथाएँ, हत्यारे, कातिल, लुटेरे, डाकू |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1837 |
dc.identifier.accessionnumber | RC-004216 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.coverage.spatial | India |
dc.date.accessioned | 2018-07-26T05:10:27Z |
dc.date.available | 2018-07-26T05:10:27Z |
dc.description | यह पुस्तक उन ठगों के वर्ग के इतिहास और प्रथाओं की व्याख्या करती है जो कुख्यात हत्यारे हुआ करते थे। लेखक का उद्देश्य जानकारी प्रदान करना था और जितना हो सके समाज की इस अजीब स्थिति की एक ज्वलंत तस्वीर प्रस्तुत करना था। लेखक ने कई उदाहरणों में, बजाए अपना वृत्तांत देने के, ठग बिरादरी के सदस्यों की स्वीकारोक्तियों या बयानों को उनकी ही भाषा में प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक पाठकों को इन हत्यारों के चरित्रों और भावनाओं के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, क्योंकि इसमें उनके द्वारा दिए गए प्रत्यक्ष वृत्तांत शामिल हैं। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | 474 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | डब्ल्यू.एच. एलन, लंदन |
dc.subject | ठग, इतिहास, प्रथाएँ, हत्यारे, कातिल, लुटेरे, डाकू |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1837 |
dc.identifier.accessionnumber | RC-004216 |
dc.format.medium | text |