अ जर्नल ऑफ़ द डिसासटर्स इन अफ़गानिस्तान, 1841 - 1842
Author: सेल, लेडी
Keywords: आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध, लेडी सेल का जर्नल, अफ़ग़ानिस्तान में आपदाएँ, 1841-1842, काबुल
Publisher: जॉन मरे, लंदन
Description: यह पुस्तक 'फ़ारसी, हिंदुस्तानी और अन्य प्राच्य शब्दों' की संक्षिप्त शब्दावली के साथ शुरू होती है, ताकि आगे के पाठ में उनके उपयोग से पाठकों को परिचित कराया जा सके। यह एक दिलचस्प कृति है जो वास्तव में एक पत्रिका है जिसे लेखक ने 1841-42 में काबुल में आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध के दौरान अपने पास रखा था। यह पत्रिका सितंबर 1841 से शुरू होती है और काबुल में ब्रिटिश सेनाओं की गतिविधियों का विस्तारपूर्वक ब्योरा देती है। इन ब्योरों को लेखक ने दैनिक आधार पर लगभग हर ही दिन दर्ज किया था। यह पुस्तक युद्ध में अंग्रेजों की हार और उसके बाद की उनकी स्थिति का विवरण देती है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | सेल, लेडी |
dc.date.accessioned | 2017-05-23T10:36:59Z 2018-06-07T03:32:22Z |
dc.date.available | 2017-05-23T10:36:59Z 2018-06-07T03:32:22Z |
dc.description | यह पुस्तक 'फ़ारसी, हिंदुस्तानी और अन्य प्राच्य शब्दों' की संक्षिप्त शब्दावली के साथ शुरू होती है, ताकि आगे के पाठ में उनके उपयोग से पाठकों को परिचित कराया जा सके। यह एक दिलचस्प कृति है जो वास्तव में एक पत्रिका है जिसे लेखक ने 1841-42 में काबुल में आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध के दौरान अपने पास रखा था। यह पत्रिका सितंबर 1841 से शुरू होती है और काबुल में ब्रिटिश सेनाओं की गतिविधियों का विस्तारपूर्वक ब्योरा देती है। इन ब्योरों को लेखक ने दैनिक आधार पर लगभग हर ही दिन दर्ज किया था। यह पुस्तक युद्ध में अंग्रेजों की हार और उसके बाद की उनकी स्थिति का विवरण देती है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | xvi, 451p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | हिंदी |
dc.publisher | जॉन मरे, लंदन |
dc.subject | आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध, लेडी सेल का जर्नल, अफ़ग़ानिस्तान में आपदाएँ, 1841-1842, काबुल |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1843 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-004086 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | सेल, लेडी |
dc.date.accessioned | 2017-05-23T10:36:59Z 2018-06-07T03:32:22Z |
dc.date.available | 2017-05-23T10:36:59Z 2018-06-07T03:32:22Z |
dc.description | यह पुस्तक 'फ़ारसी, हिंदुस्तानी और अन्य प्राच्य शब्दों' की संक्षिप्त शब्दावली के साथ शुरू होती है, ताकि आगे के पाठ में उनके उपयोग से पाठकों को परिचित कराया जा सके। यह एक दिलचस्प कृति है जो वास्तव में एक पत्रिका है जिसे लेखक ने 1841-42 में काबुल में आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध के दौरान अपने पास रखा था। यह पत्रिका सितंबर 1841 से शुरू होती है और काबुल में ब्रिटिश सेनाओं की गतिविधियों का विस्तारपूर्वक ब्योरा देती है। इन ब्योरों को लेखक ने दैनिक आधार पर लगभग हर ही दिन दर्ज किया था। यह पुस्तक युद्ध में अंग्रेजों की हार और उसके बाद की उनकी स्थिति का विवरण देती है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | xvi, 451p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | हिंदी |
dc.publisher | जॉन मरे, लंदन |
dc.subject | आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध, लेडी सेल का जर्नल, अफ़ग़ानिस्तान में आपदाएँ, 1841-1842, काबुल |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1843 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-004086 |
dc.format.medium | text |