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कानपुर

Author: ट्रेवल्यन, जी.ओ.

Keywords: कानपुर, कॉनपोर, विद्रोह, 1857, राज-द्रोह, सैन्य विद्रोह

Publisher: मैकमिलन, लंदन

Description: इस कृति में कॉनपोर (अब कानपुर) में घटित 1857 के विद्रोह के प्रकोप बारे में आरंभ से अंत तक विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है। 1865 में रचित, यह ताज़ा स्मृति के साथ लिखे गए घटना के लगभग प्रथम विवरण के रूप में कार्य करती है। यद्यपि, इस पुस्तक को प्रकरण की औपनिवेशिक दृष्टि से लिखा गया है। नाना साहेब पेशवा और अन्य भारतीय मुख्य रूप से कृति में उल्लिखित हैं। कृति की सूक्ष्म बारीकियाँ विद्रोह के प्रतिदिन के विवरण की तरह प्रतीत होती हैं। विद्रोह, घेराबंदी, विश्वासघात, नरसंहार, पुस्तक में चर्चित कुछ विषय हैं।

Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार

Type: दुर्लभ पुस्तक

Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार


DC Field Value
dc.contributor.author ट्रेवल्यन, जी.ओ.
dc.date.accessioned 2017-06-08T08:45:45Z
2018-06-07T03:46:24Z
dc.date.available 2017-06-08T08:45:45Z
2018-06-07T03:46:24Z
dc.description इस कृति में कॉनपोर (अब कानपुर) में घटित 1857 के विद्रोह के प्रकोप बारे में आरंभ से अंत तक विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है। 1865 में रचित, यह ताज़ा स्मृति के साथ लिखे गए घटना के लगभग प्रथम विवरण के रूप में कार्य करती है। यद्यपि, इस पुस्तक को प्रकरण की औपनिवेशिक दृष्टि से लिखा गया है। नाना साहेब पेशवा और अन्य भारतीय मुख्य रूप से कृति में उल्लिखित हैं। कृति की सूक्ष्म बारीकियाँ विद्रोह के प्रतिदिन के विवरण की तरह प्रतीत होती हैं। विद्रोह, घेराबंदी, विश्वासघात, नरसंहार, पुस्तक में चर्चित कुछ विषय हैं।
dc.source केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
dc.format.extent vi, 366p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher मैकमिलन, लंदन
dc.subject कानपुर, कॉनपोर, विद्रोह, 1857, राज-द्रोह, सैन्य विद्रोह
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1865
dc.identifier.accessionnumber AS-004382
dc.format.medium text
DC Field Value
dc.contributor.author ट्रेवल्यन, जी.ओ.
dc.date.accessioned 2017-06-08T08:45:45Z
2018-06-07T03:46:24Z
dc.date.available 2017-06-08T08:45:45Z
2018-06-07T03:46:24Z
dc.description इस कृति में कॉनपोर (अब कानपुर) में घटित 1857 के विद्रोह के प्रकोप बारे में आरंभ से अंत तक विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है। 1865 में रचित, यह ताज़ा स्मृति के साथ लिखे गए घटना के लगभग प्रथम विवरण के रूप में कार्य करती है। यद्यपि, इस पुस्तक को प्रकरण की औपनिवेशिक दृष्टि से लिखा गया है। नाना साहेब पेशवा और अन्य भारतीय मुख्य रूप से कृति में उल्लिखित हैं। कृति की सूक्ष्म बारीकियाँ विद्रोह के प्रतिदिन के विवरण की तरह प्रतीत होती हैं। विद्रोह, घेराबंदी, विश्वासघात, नरसंहार, पुस्तक में चर्चित कुछ विषय हैं।
dc.source केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
dc.format.extent vi, 366p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher मैकमिलन, लंदन
dc.subject कानपुर, कॉनपोर, विद्रोह, 1857, राज-द्रोह, सैन्य विद्रोह
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1865
dc.identifier.accessionnumber AS-004382
dc.format.medium text