कंपैरेटिव ग्रामर ऑफ़ द लैंग्वेजेज़ ऑफ़ फ़र्दर इंडिया
Author: फ़ोर्ब्स, सी.जे.एफ़.एस
Keywords: इंडो-चीन; भाषाएँ; नस्लें ; मोन, कंबोडियाई और अनामी भषाएँ
Publisher: डब्ल्यू.एच. एलन, लंदन
Description: सीजेएफ़एस फ़ोर्ब्स द्वारा लिखित यह पुस्तक इंडो-चीन की नस्लों और भाषाओं के प्रति विद्वानों का ध्यान आकर्षित करती है। पुस्तक को 3 भागों में विभाजित किया गया था। भाग 1 इंडो-चीन क्षेत्र में स्थित देशों की उत्पत्ति और उद्भव से संबंधित है। भाग 2 मोन, कंबोडियाई और अनामी भाषाओं के तुलनात्मक व्याकरण के बारे में बात करता है, और यह साबित करता है कि ये मोन-अनम नामक एक ही भाषा परिवार की हैं। भाग 3 मोन-अनम भाषा परिवार के तुलनात्मक व्याकरण के बारे में बात करता है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | फ़ोर्ब्स, सी.जे.एफ़.एस |
dc.coverage.spatial | India |
dc.date.accessioned | 2018-07-19T07:09:52Z |
dc.date.available | 2018-07-19T07:09:52Z |
dc.description | सीजेएफ़एस फ़ोर्ब्स द्वारा लिखित यह पुस्तक इंडो-चीन की नस्लों और भाषाओं के प्रति विद्वानों का ध्यान आकर्षित करती है। पुस्तक को 3 भागों में विभाजित किया गया था। भाग 1 इंडो-चीन क्षेत्र में स्थित देशों की उत्पत्ति और उद्भव से संबंधित है। भाग 2 मोन, कंबोडियाई और अनामी भाषाओं के तुलनात्मक व्याकरण के बारे में बात करता है, और यह साबित करता है कि ये मोन-अनम नामक एक ही भाषा परिवार की हैं। भाग 3 मोन-अनम भाषा परिवार के तुलनात्मक व्याकरण के बारे में बात करता है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | viii, 188p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | डब्ल्यू.एच. एलन, लंदन |
dc.subject | इंडो-चीन; भाषाएँ; नस्लें ; मोन, कंबोडियाई और अनामी भषाएँ |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1881 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-001817 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | फ़ोर्ब्स, सी.जे.एफ़.एस |
dc.coverage.spatial | India |
dc.date.accessioned | 2018-07-19T07:09:52Z |
dc.date.available | 2018-07-19T07:09:52Z |
dc.description | सीजेएफ़एस फ़ोर्ब्स द्वारा लिखित यह पुस्तक इंडो-चीन की नस्लों और भाषाओं के प्रति विद्वानों का ध्यान आकर्षित करती है। पुस्तक को 3 भागों में विभाजित किया गया था। भाग 1 इंडो-चीन क्षेत्र में स्थित देशों की उत्पत्ति और उद्भव से संबंधित है। भाग 2 मोन, कंबोडियाई और अनामी भाषाओं के तुलनात्मक व्याकरण के बारे में बात करता है, और यह साबित करता है कि ये मोन-अनम नामक एक ही भाषा परिवार की हैं। भाग 3 मोन-अनम भाषा परिवार के तुलनात्मक व्याकरण के बारे में बात करता है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | viii, 188p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | डब्ल्यू.एच. एलन, लंदन |
dc.subject | इंडो-चीन; भाषाएँ; नस्लें ; मोन, कंबोडियाई और अनामी भषाएँ |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1881 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-001817 |
dc.format.medium | text |