अ कंपैरेटिव ग्रामर ऑफ़ द संस्कृत, ज़ेंड, ग्रीक, लैटिन, लिथुवानियन , गॉथिक, जर्मन एंड स्क्लावोनिक लैंग्वेजेज़, पार्ट III
Author: बॉप, एफ़
Keywords: व्याकरण, भाषा, भाषा विज्ञान, स्वरविज्ञान, भाषा शास्त्र, संस्कृत, यूरोपीय भाषाएँ
Publisher: जेम्स मैडेन, लंदन
Description: यह प्रोफ़ेसर एफ़ बॉप द्वारा लिखित संस्कृत, ज़ेंड, यूनानी, लैटिन, लिथुआनियाई, गोथिक, जर्मन और स्क्लावोनिक भाषाओं के तुलनात्मक व्याकरण के तीसरे खंड का अनुदित संस्करण है। इस काम के माध्यम से, लेखक का इरादा भारतीय भाषाओं और यूरोप की भाषाओं, मुख्यतः ज़ेंड, ग्रीक, लैटिन, गोथिक, जर्मन और स्क्लावोनिक की एक ही मूल उत्पत्ति को प्रदर्शित करना था। लेखक उनके व्याकरणों की तुलना करके यह दिखाने की कोशिश करता है कि कैसे ये भाषाएँ एक दूसरे से संबंधित हैं। इस पुस्तक का यह खंड क्रियाओं और शब्दों के निर्माण से संबंधित है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | बॉप, एफ़ |
dc.date.accessioned | 2018-08-04T05:13:53Z |
dc.date.available | 2018-08-04T05:13:53Z |
dc.description | यह प्रोफ़ेसर एफ़ बॉप द्वारा लिखित संस्कृत, ज़ेंड, यूनानी, लैटिन, लिथुआनियाई, गोथिक, जर्मन और स्क्लावोनिक भाषाओं के तुलनात्मक व्याकरण के तीसरे खंड का अनुदित संस्करण है। इस काम के माध्यम से, लेखक का इरादा भारतीय भाषाओं और यूरोप की भाषाओं, मुख्यतः ज़ेंड, ग्रीक, लैटिन, गोथिक, जर्मन और स्क्लावोनिक की एक ही मूल उत्पत्ति को प्रदर्शित करना था। लेखक उनके व्याकरणों की तुलना करके यह दिखाने की कोशिश करता है कि कैसे ये भाषाएँ एक दूसरे से संबंधित हैं। इस पुस्तक का यह खंड क्रियाओं और शब्दों के निर्माण से संबंधित है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | 953-1462 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | जेम्स मैडेन, लंदन |
dc.subject | व्याकरण, भाषा, भाषा विज्ञान, स्वरविज्ञान, भाषा शास्त्र, संस्कृत, यूरोपीय भाषाएँ |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1850 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-001508 |
dc.format.medium | text |
dc.contributor.translator | translated by Edward B. Eastwick |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | बॉप, एफ़ |
dc.date.accessioned | 2018-08-04T05:13:53Z |
dc.date.available | 2018-08-04T05:13:53Z |
dc.description | यह प्रोफ़ेसर एफ़ बॉप द्वारा लिखित संस्कृत, ज़ेंड, यूनानी, लैटिन, लिथुआनियाई, गोथिक, जर्मन और स्क्लावोनिक भाषाओं के तुलनात्मक व्याकरण के तीसरे खंड का अनुदित संस्करण है। इस काम के माध्यम से, लेखक का इरादा भारतीय भाषाओं और यूरोप की भाषाओं, मुख्यतः ज़ेंड, ग्रीक, लैटिन, गोथिक, जर्मन और स्क्लावोनिक की एक ही मूल उत्पत्ति को प्रदर्शित करना था। लेखक उनके व्याकरणों की तुलना करके यह दिखाने की कोशिश करता है कि कैसे ये भाषाएँ एक दूसरे से संबंधित हैं। इस पुस्तक का यह खंड क्रियाओं और शब्दों के निर्माण से संबंधित है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | 953-1462 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | जेम्स मैडेन, लंदन |
dc.subject | व्याकरण, भाषा, भाषा विज्ञान, स्वरविज्ञान, भाषा शास्त्र, संस्कृत, यूरोपीय भाषाएँ |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1850 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-001508 |
dc.format.medium | text |
dc.contributor.translator | translated by Edward B. Eastwick |