कोऑपरेशन इन इंडिया
Author: वोल्फ़, हेनरी डब्ल्यू.
Keywords: सहकारी समितियाँ, सहकारी आंदोलन, सहकारी ऋण, ऋण, अर्थशास्त्र
Publisher: डब्ल्यू. थैकर, लंदन
Description: यह पुस्तक भारत के सहकारी आंदोलन से संबंधित है। लेखक इसकी शुरुआत से ही आंदोलन से जुड़ा था। उनका मानना था कि, लेखन के समय की स्थिति के अनुसार, उनके पास आंदोलन की विशेषताओं और समस्याओं को बताने के लिए पर्याप्त ज्ञान था। लेखक ने अनुभव किया कि भले ही यह आंदोलन भारत के केवल एक छोटे से हिस्से में ही फैला है, परंतु इसने प्रगति की है और सेवा और समृद्धि प्रदान की है। हालाँकि, उन्होंने अनुभव किया कि आंदोलन के लिए एक सुविचारित कार्ययोजना को अपनाने का समय आ गया था।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | वोल्फ़, हेनरी डब्ल्यू. |
dc.date.accessioned | 2019-03-01T14:52:32Z |
dc.date.available | 2019-03-01T14:52:32Z |
dc.description | यह पुस्तक भारत के सहकारी आंदोलन से संबंधित है। लेखक इसकी शुरुआत से ही आंदोलन से जुड़ा था। उनका मानना था कि, लेखन के समय की स्थिति के अनुसार, उनके पास आंदोलन की विशेषताओं और समस्याओं को बताने के लिए पर्याप्त ज्ञान था। लेखक ने अनुभव किया कि भले ही यह आंदोलन भारत के केवल एक छोटे से हिस्से में ही फैला है, परंतु इसने प्रगति की है और सेवा और समृद्धि प्रदान की है। हालाँकि, उन्होंने अनुभव किया कि आंदोलन के लिए एक सुविचारित कार्ययोजना को अपनाने का समय आ गया था। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | ix, 298 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | डब्ल्यू. थैकर, लंदन |
dc.subject | सहकारी समितियाँ, सहकारी आंदोलन, सहकारी ऋण, ऋण, अर्थशास्त्र |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1927 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-000914 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | वोल्फ़, हेनरी डब्ल्यू. |
dc.date.accessioned | 2019-03-01T14:52:32Z |
dc.date.available | 2019-03-01T14:52:32Z |
dc.description | यह पुस्तक भारत के सहकारी आंदोलन से संबंधित है। लेखक इसकी शुरुआत से ही आंदोलन से जुड़ा था। उनका मानना था कि, लेखन के समय की स्थिति के अनुसार, उनके पास आंदोलन की विशेषताओं और समस्याओं को बताने के लिए पर्याप्त ज्ञान था। लेखक ने अनुभव किया कि भले ही यह आंदोलन भारत के केवल एक छोटे से हिस्से में ही फैला है, परंतु इसने प्रगति की है और सेवा और समृद्धि प्रदान की है। हालाँकि, उन्होंने अनुभव किया कि आंदोलन के लिए एक सुविचारित कार्ययोजना को अपनाने का समय आ गया था। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | ix, 298 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | डब्ल्यू. थैकर, लंदन |
dc.subject | सहकारी समितियाँ, सहकारी आंदोलन, सहकारी ऋण, ऋण, अर्थशास्त्र |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1927 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-000914 |
dc.format.medium | text |