फ़िस्कल पॉलिसी इन इंडिया
Author: बनर्जी, प्रमथनाथ
Keywords: राजकोषीय नीति, भारत, अर्थव्यवस्था, विदेशी व्यापार, ईस्ट इंडिया कंपनी, अंग्रेज़ सम्राट
Publisher: मैकमिलन & को., कलकत्ता
Description: यह पुस्तक 1921 में कलकत्ता विश्वविद्यालय में लेखक द्वारा दिए गए व्याख्यानों की श्रृंखला पर आधारित है। यह 'भारत सरकार और अन्य आधिकारिक प्रकाशनों के संसदीय दस्तावेजों और नीली किताबों (ब्लू बुक)’ में दी गई जानकारी का उपयोग करती है। यह मूलतः ईस्ट इंडिया कंपनी और भारत में ब्रिटिश राज की राजकोषीय नीतियों का अध्ययन है। परिचय में, लेखक भारत में राजकोषीय नीति के अध्ययन के महत्व का वर्णन करता है। पुस्तक सात अध्यायों और दो परिशिष्टों में विभाजित है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | बनर्जी, प्रमथनाथ |
dc.date.accessioned | 2018-07-17T06:06:35Z |
dc.date.available | 2018-07-17T06:06:35Z |
dc.description | यह पुस्तक 1921 में कलकत्ता विश्वविद्यालय में लेखक द्वारा दिए गए व्याख्यानों की श्रृंखला पर आधारित है। यह 'भारत सरकार और अन्य आधिकारिक प्रकाशनों के संसदीय दस्तावेजों और नीली किताबों (ब्लू बुक)’ में दी गई जानकारी का उपयोग करती है। यह मूलतः ईस्ट इंडिया कंपनी और भारत में ब्रिटिश राज की राजकोषीय नीतियों का अध्ययन है। परिचय में, लेखक भारत में राजकोषीय नीति के अध्ययन के महत्व का वर्णन करता है। पुस्तक सात अध्यायों और दो परिशिष्टों में विभाजित है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | 256 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | मैकमिलन & को., कलकत्ता |
dc.subject | राजकोषीय नीति, भारत, अर्थव्यवस्था, विदेशी व्यापार, ईस्ट इंडिया कंपनी, अंग्रेज़ सम्राट |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1922 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-000957 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | बनर्जी, प्रमथनाथ |
dc.date.accessioned | 2018-07-17T06:06:35Z |
dc.date.available | 2018-07-17T06:06:35Z |
dc.description | यह पुस्तक 1921 में कलकत्ता विश्वविद्यालय में लेखक द्वारा दिए गए व्याख्यानों की श्रृंखला पर आधारित है। यह 'भारत सरकार और अन्य आधिकारिक प्रकाशनों के संसदीय दस्तावेजों और नीली किताबों (ब्लू बुक)’ में दी गई जानकारी का उपयोग करती है। यह मूलतः ईस्ट इंडिया कंपनी और भारत में ब्रिटिश राज की राजकोषीय नीतियों का अध्ययन है। परिचय में, लेखक भारत में राजकोषीय नीति के अध्ययन के महत्व का वर्णन करता है। पुस्तक सात अध्यायों और दो परिशिष्टों में विभाजित है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | 256 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | मैकमिलन & को., कलकत्ता |
dc.subject | राजकोषीय नीति, भारत, अर्थव्यवस्था, विदेशी व्यापार, ईस्ट इंडिया कंपनी, अंग्रेज़ सम्राट |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1922 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-000957 |
dc.format.medium | text |