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स्वतंत्रता आंदोलन का संग्रह

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08 दिसंबर  उदय शंकर (1900 से 1977) 

08 दिसंबर 1900 को उदयपुर, राजस्थान, में जन्मे, उदय शंकर एक नर्तक और नृत्य-प्रशिक्षक नृत्य-निर्देशक थे, जो भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली में एक क्रांति लेकर आए। वर्ष 1917 में, उदय शंकर ने अपना औपचारिक कला प्रशिक्षण शुरू किया, और फिर लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ़ आर्ट में अध्ययन किया। वर्ष 1929 में, भारत लौटने पर उन्होंने अपने नृत्य समूह की स्थापना की। 'भारतीय समकालीन नृत्य के जनक' माने जाने वाले उदय शंकर ने भारतीय गैर-शास्त्रीय नृत्य शैलियों के प्रदर्शन में भारतीय, और पश्चिमी संस्कृतियों के सम्मिश्रण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने भाई, प्रसिद्ध सितारवादक रविशंकर के साथ, शास्त्रीय और लोक नृत्य शैलियों का अध्ययन किया, और सामाजिक प्रासंगिकता वाली नृत्य-नाटिकाएँ बनाईं। उन्होंने कई पूर्णाकार बैले या नृत्य नाटकों की भी रचना की, जिनमें 1970 के दशक में रचित, 'शंकरस्कोप' उनका अंतिम प्रदर्शन था, जो फ़िल्म, मंच, नृत्य, और नाटक के तत्वों का एक सहज मिश्रण था। वर्ष 1962 में, उन्हें आजीवन उपलब्धि के लिए संगीत नाटक अकादमी की छात्रवृत्ति मिली, और वर्ष 1971 में, उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 26 सितंबर 1977 को उदय शंकर का निधन हुआ।  

08 दिसंबर 1900 को उदयपुर, राजस्थान, में जन्मे, उदय शंकर एक नर्तक और नृत्य-प्रशिक्षक नृत्य-निर्देशक थे, जो भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली में एक क्रांति लेकर आए। वर्ष 1917 में, उदय शंकर ने अपना औपचारिक कला प्रशिक्षण शुरू किया, और फिर लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ़ आर्ट में अध्ययन किया। वर्ष 1929 में, भारत लौटने पर उन्होंने अपने नृत्य समूह की स्थापना की। 'भारतीय समकालीन नृत्य के जनक' माने जाने वाले उदय शंकर ने भारतीय गैर-शास्त्रीय नृत्य शैलियों के प्रदर्शन में भारतीय, और पश्चिमी संस्कृतियों के सम्मिश्रण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने भाई, प्रसिद्ध सितारवादक रविशंकर के साथ, शास्त्रीय और लोक नृत्य शैलियों का अध्ययन किया, और सामाजिक प्रासंगिकता वाली नृत्य-नाटिकाएँ बनाईं। उन्होंने कई पूर्णाकार बैले या नृत्य नाटकों की भी रचना की, जिनमें 1970 के दशक में रचित, 'शंकरस्कोप' उनका अंतिम प्रदर्शन था, जो फ़िल्म, मंच, नृत्य, और नाटक के तत्वों का एक सहज मिश्रण था। वर्ष 1962 में, उन्हें आजीवन उपलब्धि के लिए संगीत नाटक अकादमी की छात्रवृत्ति मिली, और वर्ष 1971 में, उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 26 सितंबर 1977 को उदय शंकर का निधन हुआ।   

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