Sorry, you need to enable JavaScript to visit this website.

इंडिया ऍनलाइज़्ड वॉल. I: इंटरनेशनल

Author: ज़िम्मर्न, एल्फ़्रेड
मैनिंग, सी.ए.डब्ल्यू
सुंदरम, लंका
कीथ, आर्थर बेरिडेल
जेंक्स, सी.डब्ल्यू.

Keywords: भारतीय इतिहास, सार्वजनिक मामले, श्रम संगठन, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, भारतीय इतिहास

Publisher: विक्टर गोलांज़, लंदन

Description: ‘इंडिया एनलाइज़्ड’ श्रृंखला, जिसमें चार खंड शामिल हैं, का उद्देश्य वर्तमान भारत की एक तस्वीर प्रदान करना है। इसमें, इस विषय पर बोलने के लिए सबसे योग्य माने जाने वाले, अंग्रेजी और भारतीय लेखकों को योगदान देने के लिए कहा गया था। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण रूप से यह भारतीय प्रशासन एवं कामकाज के बारे में सहज रूचि रखने वाले व्यक्ति के लिए अभिप्रेत है, जो अखबारों में पाए जाने वाले घिसे-पिटे एवं रद्दी तथा अक्सर ही पक्षपाती व्याख्यानों से संतुष्ट नहीं है। दूसरे, यह पुस्तक ऐसे छात्र के लिए भी अभिप्रेत है, जो भारतीय पत्रिकाओं के ढेर में अपना कीमती समय लगाकर भी केवल ऐसी घिसी-पिटी सामग्री ही पा सकता था। वास्तव में यह श्रृंखला अधिकार के साथ बोल सकने में सक्षम उन भारतीयों और अंग्रेजों के विचारों को एक साथ लाकर भारत की एक एकीकृत तस्वीर देने का प्रयास करती है।

Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार

Type: दुर्लभ पुस्तक

Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार


DC Field Value
dc.contributor.author ज़िम्मर्न, एल्फ़्रेड
मैनिंग, सी.ए.डब्ल्यू
सुंदरम, लंका
कीथ, आर्थर बेरिडेल
जेंक्स, सी.डब्ल्यू.
dc.coverage.spatial India
dc.date.accessioned 2018-07-12T07:55:31Z
dc.date.available 2018-07-12T07:55:31Z
dc.description ‘इंडिया एनलाइज़्ड’ श्रृंखला, जिसमें चार खंड शामिल हैं, का उद्देश्य वर्तमान भारत की एक तस्वीर प्रदान करना है। इसमें, इस विषय पर बोलने के लिए सबसे योग्य माने जाने वाले, अंग्रेजी और भारतीय लेखकों को योगदान देने के लिए कहा गया था। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण रूप से यह भारतीय प्रशासन एवं कामकाज के बारे में सहज रूचि रखने वाले व्यक्ति के लिए अभिप्रेत है, जो अखबारों में पाए जाने वाले घिसे-पिटे एवं रद्दी तथा अक्सर ही पक्षपाती व्याख्यानों से संतुष्ट नहीं है। दूसरे, यह पुस्तक ऐसे छात्र के लिए भी अभिप्रेत है, जो भारतीय पत्रिकाओं के ढेर में अपना कीमती समय लगाकर भी केवल ऐसी घिसी-पिटी सामग्री ही पा सकता था। वास्तव में यह श्रृंखला अधिकार के साथ बोल सकने में सक्षम उन भारतीयों और अंग्रेजों के विचारों को एक साथ लाकर भारत की एक एकीकृत तस्वीर देने का प्रयास करती है।
dc.source केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
dc.format.extent 192p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher विक्टर गोलांज़, लंदन
dc.subject भारतीय इतिहास, सार्वजनिक मामले, श्रम संगठन, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, भारतीय इतिहास
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1933
dc.identifier.accessionnumber AS-001268
dc.format.medium text
DC Field Value
dc.contributor.author ज़िम्मर्न, एल्फ़्रेड
मैनिंग, सी.ए.डब्ल्यू
सुंदरम, लंका
कीथ, आर्थर बेरिडेल
जेंक्स, सी.डब्ल्यू.
dc.coverage.spatial India
dc.date.accessioned 2018-07-12T07:55:31Z
dc.date.available 2018-07-12T07:55:31Z
dc.description ‘इंडिया एनलाइज़्ड’ श्रृंखला, जिसमें चार खंड शामिल हैं, का उद्देश्य वर्तमान भारत की एक तस्वीर प्रदान करना है। इसमें, इस विषय पर बोलने के लिए सबसे योग्य माने जाने वाले, अंग्रेजी और भारतीय लेखकों को योगदान देने के लिए कहा गया था। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण रूप से यह भारतीय प्रशासन एवं कामकाज के बारे में सहज रूचि रखने वाले व्यक्ति के लिए अभिप्रेत है, जो अखबारों में पाए जाने वाले घिसे-पिटे एवं रद्दी तथा अक्सर ही पक्षपाती व्याख्यानों से संतुष्ट नहीं है। दूसरे, यह पुस्तक ऐसे छात्र के लिए भी अभिप्रेत है, जो भारतीय पत्रिकाओं के ढेर में अपना कीमती समय लगाकर भी केवल ऐसी घिसी-पिटी सामग्री ही पा सकता था। वास्तव में यह श्रृंखला अधिकार के साथ बोल सकने में सक्षम उन भारतीयों और अंग्रेजों के विचारों को एक साथ लाकर भारत की एक एकीकृत तस्वीर देने का प्रयास करती है।
dc.source केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
dc.format.extent 192p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher विक्टर गोलांज़, लंदन
dc.subject भारतीय इतिहास, सार्वजनिक मामले, श्रम संगठन, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, भारतीय इतिहास
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1933
dc.identifier.accessionnumber AS-001268
dc.format.medium text