इरॉटिक स्कल्प्चर ऑफ़ इंडिया: अ सोशिओ-कल्चरल स्टडी
Author: देसाई, देवांगना
Keywords: भारतीय कला, कला, वास्तुकला, मूर्तिकला, कामोत्तेजक मूर्तियाँ, कला में कामुकता का प्रदर्शन
Publisher: टाटा मैक्ग्रॉ-हिल, नई दिल्ली
Description: पुस्तक भारतीय कला में कामुकता के प्रदर्शन पर अध्ययन प्रस्तुत करती है। यह अध्ययन मध्यकालीन हिंदू मंदिरों, जैसे खजुराहो और कोणार्क, में कामोत्तेजक मूर्तियों की प्रमुखता के परिचय के साथ आरंभ होता है। इतिहास की विभिन्न अवधियों में विभाजित, उत्तरगामी अध्याय, कामोत्तेजक मूर्तियों के विकास और पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न स्मारकीय संरचनाओं में उनके प्रदर्शन का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हैं। पुस्तक, नृविज्ञान, इतिहास, कला इतिहास, धर्म, कला और धर्म संबंधित समाजशास्त्र, जैसे विषयों के अध्ययन पर आधारित है, और इन विषयों की विस्तारपूर्वक चर्चा करती है।
Source: इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | देसाई, देवांगना |
| dc.date.accessioned | 2019-10-23T06:46:35Z |
| dc.date.available | 2019-10-23T06:46:35Z |
| dc.description | पुस्तक भारतीय कला में कामुकता के प्रदर्शन पर अध्ययन प्रस्तुत करती है। यह अध्ययन मध्यकालीन हिंदू मंदिरों, जैसे खजुराहो और कोणार्क, में कामोत्तेजक मूर्तियों की प्रमुखता के परिचय के साथ आरंभ होता है। इतिहास की विभिन्न अवधियों में विभाजित, उत्तरगामी अध्याय, कामोत्तेजक मूर्तियों के विकास और पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न स्मारकीय संरचनाओं में उनके प्रदर्शन का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हैं। पुस्तक, नृविज्ञान, इतिहास, कला इतिहास, धर्म, कला और धर्म संबंधित समाजशास्त्र, जैसे विषयों के अध्ययन पर आधारित है, और इन विषयों की विस्तारपूर्वक चर्चा करती है। |
| dc.source | इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र |
| dc.format.extent | xii, 269 p. : 84 plates |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | टाटा मैक्ग्रॉ-हिल, नई दिल्ली |
| dc.subject | भारतीय कला, कला, वास्तुकला, मूर्तिकला, कामोत्तेजक मूर्तियाँ, कला में कामुकता का प्रदर्शन |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1975 |
| dc.identifier.accessionnumber | 855 |
| dc.format.medium | text |
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | देसाई, देवांगना |
| dc.date.accessioned | 2019-10-23T06:46:35Z |
| dc.date.available | 2019-10-23T06:46:35Z |
| dc.description | पुस्तक भारतीय कला में कामुकता के प्रदर्शन पर अध्ययन प्रस्तुत करती है। यह अध्ययन मध्यकालीन हिंदू मंदिरों, जैसे खजुराहो और कोणार्क, में कामोत्तेजक मूर्तियों की प्रमुखता के परिचय के साथ आरंभ होता है। इतिहास की विभिन्न अवधियों में विभाजित, उत्तरगामी अध्याय, कामोत्तेजक मूर्तियों के विकास और पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न स्मारकीय संरचनाओं में उनके प्रदर्शन का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हैं। पुस्तक, नृविज्ञान, इतिहास, कला इतिहास, धर्म, कला और धर्म संबंधित समाजशास्त्र, जैसे विषयों के अध्ययन पर आधारित है, और इन विषयों की विस्तारपूर्वक चर्चा करती है। |
| dc.source | इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र |
| dc.format.extent | xii, 269 p. : 84 plates |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | टाटा मैक्ग्रॉ-हिल, नई दिल्ली |
| dc.subject | भारतीय कला, कला, वास्तुकला, मूर्तिकला, कामोत्तेजक मूर्तियाँ, कला में कामुकता का प्रदर्शन |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1975 |
| dc.identifier.accessionnumber | 855 |
| dc.format.medium | text |
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