कोचीन म्युरल्स: कोलोटाइप रिप्रोडक्शंस ऑफ़ द म्युरल पेंटिंग्स ऑफ़ कोचीन, बेस्ड ऑन फोटोग्राफ़ी, वॉल्यूम-i & ii
Author: चित्रा, वी.आर.
श्रीनिवासन, टी.एन
Keywords: भारतीय कला, भारतीय चित्रकलाएँ, भारतीय भित्ति चित्रो, भित्ति चित्रकलाएँ, कोचीन के भित्ति-चित्र, कथकली
Publisher: कोचीन के महाराजा, कोचीन
Description: यह पुस्तक कोचीन की 16वीं और 17वीं शताब्दी के भित्ति चित्रों के कोलोटाइप प्रतिरूप प्रस्तुति करती है। उन्हें महत्वपूर्ण माना जाता था क्योंकि वे कलाकारों के एक ऐसे समूह द्वारा बनाई गई थीं, जिनकी चित्रकला शैली भारतीय कला के अन्य समूहों से सारगर्भित ढंग से भिन्न थी। ये चित्रकलाएँ कथकली को समझने के लिए पृष्ठभूमि भी प्रदान करती हैं। यह अनुभव किया गया कि अध्ययन के लिए भित्ति चित्रों की मुद्रण योग्य प्रतियाँ बनाना आवश्यक था। पुस्तक इस आवश्यकता को पूरा करती है। इसमें कोचीन भित्ति चित्रों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, मट्टनचेरी महल का इतिहास, भारतीय भित्ति-चित्रों के सौन्दर्यपरक पहलुओं और भित्ति चित्रकलाओं की तकनीक पर अध्याय भी हैं।
Source: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | चित्रा, वी.आर. श्रीनिवासन, टी.एन |
| dc.date.accessioned | 2019-10-21T10:57:54Z |
| dc.date.available | 2019-10-21T10:57:54Z |
| dc.description | यह पुस्तक कोचीन की 16वीं और 17वीं शताब्दी के भित्ति चित्रों के कोलोटाइप प्रतिरूप प्रस्तुति करती है। उन्हें महत्वपूर्ण माना जाता था क्योंकि वे कलाकारों के एक ऐसे समूह द्वारा बनाई गई थीं, जिनकी चित्रकला शैली भारतीय कला के अन्य समूहों से सारगर्भित ढंग से भिन्न थी। ये चित्रकलाएँ कथकली को समझने के लिए पृष्ठभूमि भी प्रदान करती हैं। यह अनुभव किया गया कि अध्ययन के लिए भित्ति चित्रों की मुद्रण योग्य प्रतियाँ बनाना आवश्यक था। पुस्तक इस आवश्यकता को पूरा करती है। इसमें कोचीन भित्ति चित्रों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, मट्टनचेरी महल का इतिहास, भारतीय भित्ति-चित्रों के सौन्दर्यपरक पहलुओं और भित्ति चित्रकलाओं की तकनीक पर अध्याय भी हैं। |
| dc.source | इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र |
| dc.format.extent | 118p,:Plates |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | कोचीन के महाराजा, कोचीन |
| dc.subject | भारतीय कला, भारतीय चित्रकलाएँ, भारतीय भित्ति चित्रो, भित्ति चित्रकलाएँ, कोचीन के भित्ति-चित्र, कथकली |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1940 |
| dc.identifier.accessionnumber | 3151 |
| dc.format.medium | text |
| DC Field | Value |
| dc.contributor.author | चित्रा, वी.आर. श्रीनिवासन, टी.एन |
| dc.date.accessioned | 2019-10-21T10:57:54Z |
| dc.date.available | 2019-10-21T10:57:54Z |
| dc.description | यह पुस्तक कोचीन की 16वीं और 17वीं शताब्दी के भित्ति चित्रों के कोलोटाइप प्रतिरूप प्रस्तुति करती है। उन्हें महत्वपूर्ण माना जाता था क्योंकि वे कलाकारों के एक ऐसे समूह द्वारा बनाई गई थीं, जिनकी चित्रकला शैली भारतीय कला के अन्य समूहों से सारगर्भित ढंग से भिन्न थी। ये चित्रकलाएँ कथकली को समझने के लिए पृष्ठभूमि भी प्रदान करती हैं। यह अनुभव किया गया कि अध्ययन के लिए भित्ति चित्रों की मुद्रण योग्य प्रतियाँ बनाना आवश्यक था। पुस्तक इस आवश्यकता को पूरा करती है। इसमें कोचीन भित्ति चित्रों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, मट्टनचेरी महल का इतिहास, भारतीय भित्ति-चित्रों के सौन्दर्यपरक पहलुओं और भित्ति चित्रकलाओं की तकनीक पर अध्याय भी हैं। |
| dc.source | इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र |
| dc.format.extent | 118p,:Plates |
| dc.format.mimetype | application/pdf |
| dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
| dc.publisher | कोचीन के महाराजा, कोचीन |
| dc.subject | भारतीय कला, भारतीय चित्रकलाएँ, भारतीय भित्ति चित्रो, भित्ति चित्रकलाएँ, कोचीन के भित्ति-चित्र, कथकली |
| dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
| dc.date.copyright | 1940 |
| dc.identifier.accessionnumber | 3151 |
| dc.format.medium | text |
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